काना-फूसी कर रही लताएँ
डॉ. कुमारी कुन्दनपटना(बिहार)****************************** उमड़-घुमड़ कर गर्जन करती,आई, काली घटा घनघोरछम-छमा-छम कर धरा पर,बूँदें बरस पड़ी चहुँ ओर। सौंधी-सौंधी खुशबू आए,सर्र-सर्र, सर्र-सर्र चले पवनमनभावन सावन को पाकर,बहका-बहका हो गया मन। दृश्य…