खुद पर विश्वास करें

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*************************************** किसी के भरोसे ना रहें,बस अपना काम करेंकोई किसी का नहीं है,खुद पर ही विश्वास करें। दिखाने को साथ रहेंगे,मीठी-मीठी बात करेंगेतेरे जख्म भी कुरेद देंगे,पर मरहम…

Comments Off on खुद पर विश्वास करें

साहित्यकार डॉ. श्रीवास्तव ‘अमल’ को ‘विश्व कवि’ सम्मान

बिलासपुर (छत्तीसगढ़)। विश्व संभ्रांत समाज के विश्व सचिव और बिलासपुर निवासी प्रसिद्ध साहित्यकार 'संभ्रांत भूषण' डॉ. शिवशरण श्रीवास्तव 'अमल' (अध्यक्ष परिचर्चा प्रोत्साहन समिति) की अतिविशिष्ट साहित्यिक प्रतिभा को देखते हुए…

Comments Off on साहित्यकार डॉ. श्रीवास्तव ‘अमल’ को ‘विश्व कवि’ सम्मान

आए दिन बरसात के

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* आए दिन बरसात के, फैला चहुँ आनंद।रिमझिम रिमझिम बारिशें, खिले पुष्प मकरंद॥ आए दिन बरसात के, हरितिम हुआ निकुंज।राहत आहत तपिश से, फैला चहुँ…

Comments Off on आए दिन बरसात के

बदरा आए

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** गरजे घनझूम उठी बरखाबहके मन। बदरा आएझूम उठी फ़िज़ाएंआनंदित हैं। सौंधी खुशबूचले यूँ पुरवाईउड़े मनवा। बरस रहीरिमझिम बारिशझूम लूँ जरा। आए बादलपिया का इंतजारबावरा जिया। मेंढक गाएदिन…

Comments Off on बदरा आए

रिमझिम बदरा

डॉ. गायत्री शर्मा’प्रीत’कोरबा(छत्तीसगढ़)******************************************* रिमझिम बदरा बरस रहे हैं, सावन आया अब आओ।आकुल है मन तुमसे मिलने, मधुर सलिल रस बरसाओ॥ छमछम करती बूँदें बरसे, नृत्य धरा पर दिखलाएं।गर्जन करते मेघ…

Comments Off on रिमझिम बदरा

धरा की पीड़ा

आशा आजाद`कृतिकोरबा (छत्तीसगढ़)**************************** धरती माता रो रही, सबसे करे गुहार।बिगड़ रहा है नित्य ही, धरती का श्रृंगार॥धरती का श्रृंगार, बिगाड़े मानव हरपल।वृक्ष कटे नित जान, उजड़ता प्रतिपल जंगल॥प्राणयुक्त आधार, धरा…

Comments Off on धरा की पीड़ा

कितना खोजें इतिहास…

शशि दीपक कपूरमुंबई (महाराष्ट्र)************************************* नई संसद में भारत के पौराणिक नक्शे को देख जिज्ञासा हुई, क्या सच में ! हमारे भारतवर्ष की सीमाएं आदिकाल से ही इतनी विस्तृत फैली हुई…

Comments Off on कितना खोजें इतिहास…

इन्द्रधनुषी जिंदगी

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* मानती हूँ जिन्दगी है एक पहेली,कष्ट अकेले सहना, संग ना सहेलीइसमें चाहे लंबी या छोटी हो डगरहॅंसकर चाहे रो कर, करना है सफर। नयनों की रोशनी…

Comments Off on इन्द्रधनुषी जिंदगी

काना-फूसी कर रही लताएँ

डॉ. कुमारी कुन्दनपटना(बिहार)****************************** उमड़-घुमड़ कर गर्जन करती,आई, काली घटा घनघोरछम-छमा-छम कर धरा पर,बूँदें बरस पड़ी चहुँ ओर। सौंधी-सौंधी खुशबू आए,सर्र-सर्र, सर्र-सर्र चले पवनमनभावन सावन को पाकर,बहका-बहका हो गया मन। दृश्य…

Comments Off on काना-फूसी कर रही लताएँ

नवरसमयी प्रकृति

सपना सी.पी. साहू ‘स्वप्निल’इंदौर (मध्यप्रदेश )******************************************** निहारती हूँ मैं तुम्हें प्रकृति,प्रभु की तुम अनमोल कृतिनवीनता के नवभाव समेटती,तुम्हें देख मैं आत्ममुग्ध होती।निहारती हूँ… प्रकृति है नवरसों की भाती,नवरंग, नवछटा नित…

Comments Off on नवरसमयी प्रकृति