पिता ही मेरी प्रेरणा
संजय सिंह 'चन्दन'धनबाद (झारखंड ) ******************************** जीना जैसे पिता... पिता की खुशियाँ होते बच्चे,वही मान-सम्मानपुत्र पिता की जान,पुत्री में बसते प्राणबेटी है सारा जहान,बेटे को थप्पड़ लगेपिता हैं ये पहचान,फिर…
संजय सिंह 'चन्दन'धनबाद (झारखंड ) ******************************** जीना जैसे पिता... पिता की खुशियाँ होते बच्चे,वही मान-सम्मानपुत्र पिता की जान,पुत्री में बसते प्राणबेटी है सारा जहान,बेटे को थप्पड़ लगेपिता हैं ये पहचान,फिर…
अरुण वि.देशपांडेपुणे(महाराष्ट्र)************************************** जीना जैसे पिता... कुछ होते हैं ऐसे बदनसीब,जिन्हें नहीं मिलता पिता का प्यारयह कमी करती है माता,जो करती है माया-ममता कर्तव्य करे वो,जो करते हैं पिता। आधार देनेवाला भाई…
इंदौर (मप्र)। स्वर कराओके क्लब व अखिल भारतीय काव्य मंजूषा साहित्य वल्लरी मंच (महू) के तत्वावधान में संगीत व काव्य गोष्ठी का आयोजन कवि विनोद सिंह गुर्जर के नेतृत्व व…
राजबाला शर्मा ‘दीप’अजमेर(राजस्थान)******************************************* जीना जैसे पिता... याद आपकी जब आती,आँखों से आँसू झरते हैंक्रूर नियति ने छीना क्यों ?हर पल ये सोचा करते हैं। चंदन बनकर आपने ही,मेरे जीवन को…
रत्ना बापुलीलखनऊ (उत्तरप्रदेश)***************************************** जीना जैसे पिता.... ऐ दोस्त !किस बिना पर तुम सच्ची दोस्ती का दम भरते हो,मैंने तो जाना है सच्चा दोस्त पिता के सिवा कोई नहीं। जिन्हें मुझसे…
संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)**************************************** पिता की लिखी किताबें,मैं भी लिखना चाहता हूँबनना चाहता हूँ पिता की तरह,मगर, भाग-दौड़ की जिन्दगी में फुर्सत कहाँ ?मेरे ध्यान ना देने से ही,लगने लगी है…
हरिद्वार (उत्तराखंड)। बाल साहित्य संस्थान (अल्मोड़ा) उत्तराखंड द्वारा देश के प्रतिष्ठित बाल साहित्यकारों की पुस्तकों पर दिया जाने वाला अखिल भारतीय गंगासिंह बिष्ट बाल साहित्य सम्मान एवं पुरस्कार २०२३ ऊँचाहार…
डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* देता जीवन की किरण, पिता रूप भगवान।ज्ञान पुंज जीवन तनय, पिता पुस्तक समान॥ अविरत चलता कर्मपथ, पालनार्थ सन्तान।संवाहक परिवार का, सहता बहु अपमान॥ सहे…
आशा आजाद`कृतिकोरबा (छत्तीसगढ़)**************************** जीना जैसे पिता... पापा मेरे सबसे प्यारे।लगते मुझको सबसे न्यारे॥रोज सवेरे मुझे उठाते।संग चलें अरु दौड़ लगाते॥ रोज ज्ञान की बात बताते।कैसे जीवन चले सिखाते॥घर से मिलती…
बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)************************************************ जीना जैसे पिता... जिनके चरणों की छाया में,बचपन का सुख पाया है।हाथ पकड़ कर जिसने हमको,चलना खूब सिखाया है॥ जिनके दम पर हमने ही तो,हर…