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महा विद्या है योग

हेमराज ठाकुर
मंडी (हिमाचल प्रदेश)
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अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस विशेष…

अण्ड-ब्रह्माण्ड की महा विद्या है, योग जिसका नाम है,
यम नियम आसन प्राणायाम प्रत्याहार धारणा ध्यान है
समाधि जिसकी चर्म अवस्था, जिसमें तत्व का ज्ञान है,
योग सिखाए जीव को भक्ति-मुक्ति और ब्रह्म ज्ञान है।

मिथ्या जगत और ब्रह्म सत्य है, यही तो योग का सार है,
परम ब्रह्म ही शाश्वत है इस जग में, नश्वर यह संसार है
पीढ़ी दर पीढ़ी ले आना, इसे यह गुरुओं का उपकार है,
निरोगी काया प्रभु की छाया सत है, बाकी सब विकार है।

स्थूल जगत में रमता है भोगी, सूक्ष्म से योगी को प्यार है,
मैं और मेरा प्रभुत्व लालसा, यह तो निरा ही अहंकार है।
योगी को प्यार अंतर्जागत है, भोगी को तो बाह्य संसार है,
योग जगत की परा विद्या, इस पर ज्ञानी का अधिकार है॥

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