डोली शाह
हैलाकंदी (असम)
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सोनिया आज अपने बेटे के साथ एक मनोचिकित्सक के पास पहुंची। उसका परिचय लेते हुए डॉक्टर साहब ने जांच शुरू ही की थी कि वह कहने लगी-“सर मेरी जिंदगी बिल्कुल बेकार हो चुकी है, सबका बोझ बन चुकी हूँ। मुझे पैसे की तो कोई कमी नहीं, मगर मुझसे खुशियाँ कोसों दूर है। क्या मुझे खुश रहना सिखाएंगे ?”
इतने में शालू हाथ में झाड़ू लिए कमरे में पहुंची, डॉक्टर साहब कुछ समय तक सोनिया की बातों पर चिंतित रहे, फिर बोले- “जरूर सिखाएंगे, लेकिन यह मैं नहीं, हमारी शालू बताएगी।”
“……..सच्ची…….आपके हाथों में झाड़ू और चेहरे पर इतनी खुशी कैसे!”
शालू कहने लगी,-मेरी जिंदगी एक बार बहुत बबड़े दर्द की गाथा बनकर रह गई थी, मगर उसमें मैंने अपनी खुशी खुद ढूंढी। जानती हैं, मैं तो अपनी जिंदगी से तंग होकर कुछ महीने तक बिल्कुल हॅंसना, खाना सब-कुछ छोड़ चुकी थी। यहां तक कि मृत्यु को गले लगाना चाहती थी।”
“….फिर कैसे हुआ इतना बदलाव ? सोनिया ने कहा..।
“…….जानती हो, पति की कोरोना काल में मृत्यु हो गई। कुछ महीने बाद बेटा सड़क दुर्घटना में मौत को प्राप्त हो गया, उसके बाद मैं आईने के पास खड़ी होती, तो आँसुओं से भीगा वो चेहरा, वह अकेलापन ही साथी दिखता। मेरे चेहरे की हॅंसी मानो कहीं खो गई थी, लेकिन वह एक छोटी-सी बिल्ली मेरा जीवन बदल गई।”
“…….सच्ची! मगर कैसे ? एक बिल्ली!!”
“एक दिन मेरे घर एक बिल्ली आई थी, मेरे अकेलेपन में साथ देने। मैं जब कुछ भी खाती, तो उसे भी देती। इससे वह बिल्ली सदा मेरे आगे-पीछे लगी रहती, उसका रवैया देख अक्सर मुझे हॅंसी आ जाती। एक दिन घंटों बैठ उसकी तरफ देख सोचती रही कि बिल्ली को थोड़ी-सी खुशी देकर यदि मुझे इतनी खुशी मिल सकती है, तो शायद दूसरों की मदद कर मेरी खुशी दुगनी हो जाएगी। यह जज्बा मेरे अंदर खून बन कर दौड़ने लगा। हर जगह जहां मेरी मदद की आवश्यकता महसूस होती, मैं तैयार रहती। यहां तक कि राह में भिखारियों को भी अपने फटे-पुराने कपड़े, खाने की सामग्री दान में दे देती, और वाकई उनकी खुशी देख कर मुझे बहुत खुशी मिलती। और यह भी सच है कि, यदि ‘हम किसी को खुशी देंगे, तो ऊपर वाला उसकी दुगनी खुशी हमें देगा’ यह मेरा विश्वास है।”
सोनिया मौन हो सब कुछ सुनती रही। फिर बोली-“तुम सही कह रही हो। हर चीज तो खरीदी जा सकती है, पर खुशी नहीं! काश! यह बिकती तो मैं खरीद पाती! तुम्हारी बातों से आज मुझे खुशी खरीदने का अवसर प्राप्त हुआ, मतलब दूसरों को थोड़ी खुशी देकर अधिक खुशी पाना। आज मैंने सीख लिया, सचमुच यह खुशी नश्वर भी होगी, और इससे मुझे प्रेम, इज्जत के साथ जीने का जज्बा प्राप्त होगा।”
अब सोनिया भी दूसरों की सहायता कर अपनी खुशी बटोरनी लगी…।