सत्य ही साख

राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’धनबाद (झारखण्ड) ***************************************************** सत्य है भाई साथी अपना,पर लोग धन के साथ हैंजिसके पास न होता धन,कोसता सत्य दिन-रात हैसमय-समय की बात है। सत्य है जग में सबसे…

Comments Off on सत्य ही साख

‘प्रेम दिवस’ एक दिखावा

डॉ.अर्चना मिश्रा शुक्लाकानपुर (उत्तरप्रदेश)************************* हमारे धर्म,पुराण,साहित्य प्रेम की अनेक कथाओं एवं उपाख्यानों से भरे पड़े हैं। हमारी युवा पीढ़ी अपने समृद्धशाली आदर्शों को छोड़कर भटकती फिरती है। भौतिकता ने ऐसा…

Comments Off on ‘प्रेम दिवस’ एक दिखावा

लेकर उम्मीद चली

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)************************************ पूजा डाली ले के गौरा,चली चुपके-चुपके,अम्मा-बाबा देखे ना,सखी के संग मिल के। डाली भर बेलपत्र,ली है थाली भरी भांग,लेकर उम्मीद चली है शिव भरेंगे मांग। पार्वती…

Comments Off on लेकर उम्मीद चली

ये भारत प्राण हमारा है

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** रचना शिल्प:मात्रा १६+१४=३० जन्म भूमि ये कर्मभूमि ये भारत प्राण हमारा है,जिस मिट्टी में बचपन खेला उस पर तन-मन वारा है।जिस आँचल की छाँव के तले…

Comments Off on ये भारत प्राण हमारा है

अस्मिता पर आंदोलन का कलंक

हेमेन्द्र क्षीरसागरबालाघाट(मध्यप्रदेश)**************************************** किसान आंदोलन के नाम पर अराजक तत्वों ने गणतंत्र दिवस पर गणतंत्र की संप्रभुत्ता का अपमान करने का कुकर्म किया। कुंठित ‘कलंक कथा’ देश को पीढ़ियों तक शर्मसार…

Comments Off on अस्मिता पर आंदोलन का कलंक

जैन धर्म की महती राष्ट्रीय भूमिका

डॉ.अरविन्द जैनभोपाल(मध्यप्रदेश)***************************************************** चिंतन........ प्रस्तुत संस्कृति की धारा ने भारतीय जीवन व विचार एवं व्यवस्थाओं को कब कैसे पुष्ट और परिष्कृत किया,इसका यथार्थ मूल्यांकन होकर उसकी वास्तविक रूपरेखा उपस्थित हो जाए…

Comments Off on जैन धर्म की महती राष्ट्रीय भूमिका

गलतफहमी

भुवनेश दशोत्तरइंदौर(मध्यप्रदेश)************************************* क्या बुरा है कि,थोड़ा गलतफहमी में ही जिया जाएदूर शहर में बेटा,मनोयोग से पढ़ रहा हैसंस्कारों में ही जी रहा है,यही माना जाए।सब रिश्ते भला ही चाहते हैं,यही…

Comments Off on गलतफहमी

जय-जयकार वतन की

विनोद सोनगीर ‘कवि विनोद’इन्दौर(मध्यप्रदेश)************************************* मत कर सदा तू अपने मन की,फिक्र कर थोड़ी अपने तन की। ब्रह्म काल में उठ रोज योग कर,जरूरत न और कोई जतन की। दु:ख में…

Comments Off on जय-जयकार वतन की

जग जननी

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ************************************************ रचना शिल्प: मात्रा २८, १६-१२ पर यति,चरणांत दो गुरु,पवर्ग का निषेध,अधर नहीं लगने हैं। जग जननी अर्चन कर तेरा,चरनन शीश नवाऊँँ।दर्शन अर्चन तेरा करके,तेरे ही गुण…

Comments Off on जग जननी

मुझे गुलाब बहुत पसंद है

डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’इन्दौर(मध्यप्रदेश)************************************ तुम्हें पता था,मुझे गुलाब बहुत पसंद है,सही मायनों में,फूलों की महक को अब जान पाई।सुबह की इस सुनहरी अनुभूति ने,तुम्हारे द्वारा लगाए इन सुंदर गुलाबों नेआज…

Comments Off on मुझे गुलाब बहुत पसंद है