तुम्हारी आदत

मयंक वर्मा ‘निमिशाम्’ गाजियाबाद(उत्तर प्रदेश) *************************************** काव्य संग्रह हम और तुम से तुम्हारी ऐसी आदत हो गई है,तुम्हारी आदत,मेरी आदत हो गई है।तुम्हारी आँखों से छलकते सपने,हर फरमाइश,मेरी चाहत हो गई…

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अधूरे ख्वाब

रोशनी दीक्षितबिलासपुर(छत्तीसगढ़)************************************ काव्य संग्रह हम और तुम से कुछ अधूरे ख्वाबों को,आओ हम पूरा करें।हम और तुम अब अलगनहीं हैं,आओ ये स्वीकार करें। मैं नैया,पतवार बनो तुम,मैं राधा तुम श्याम…

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सोचा ना था

विजय लक्ष्मी राय 'विजया'*********************** काव्य संग्रह हम और तुम से सफर जिंदगी का होगा इतना आसां सोचा ना था,यूँ ही मिलोगे तुम औ दिल खो जाएगा सोचा ना था। निहारोगे…

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किया प्रेम-इजहार

विजया ठाकुररायपुर (छत्तीसगढ़)************************************ काव्य संग्रह हम और तुम से दिल के दर पर दस्तक देकर,किया प्रेम-इजहार,तुमसे मिलकर हुआ जोगिया,गीतों का संसार। प्रेमग्रंथ के हर पन्ने पर,प्रियतम का ही नाम लिखूँ।तुमसे…

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दूरियाँ बढ़ती गई

डॉ. विभाषा मिश्ररायपुर(छत्तीसगढ़)***************************************** काव्य संग्रह हम और तुम से साल बीतता गया,दूरियाँ बढ़ती गईमग़र जो कुछ,बचा रह गयावह केवल प्यार…।जो शब्दों से,ज़ाहिर न हो सकान ही उसे किसी,बहाने की तलाश…

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तुम देखो सिर्फ मुझे

डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’इन्दौर(मध्यप्रदेश)************************************ काव्य संग्रह हम और तुम से तुम्हें ऐसे ही देखना अच्छा लगता है,पर जिंदगी में बस यही नहीं मिलता है।बहुत थोड़ा ही देख पाती हूँ तुम्हें,आँखों…

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ताजमहल

बिमल तिवारी ‘आत्मबोध’देवरिया(उत्तरप्रदेश)*************************** काव्य संग्रह हम और तुम से ना शाहजहां की चाह महल है,ये ना कोई दरगाह पहल हैछूकर देखो इसके पत्थर को,इसमें जिंदा मुमताज़ महल है। चाहत की…

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शबरी के बेर

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)************************************ शबरी महिमा राम की,जानत सकल जहान।रचना तुलसी दास की,अमर भये हनुमानll घर त्यागे परिवार को,कुटिया एक बनाय।रटते-रटते राम को,सारी उमर बितायll राम-लखन की चाह में,नित-नित…

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अजर अमर है नाम

शिवेन्द्र मिश्र ‘शिव’लखीमपुर खीरी(उप्र)***************************************** नेता वीर सुभाष का,अजर अमर है नाम।जिनके बिना अपूर्ण था,स्वतंत्रता संग्राम।स्वतंत्रता संग्राम, गरम दल के थे नायक।रख दी नींव स्वराज, फौज के सेनानायक॥'चल दिल्ली' उद्घोष,और 'जय…

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लिखूँगी भाग्य मैं खुद का

तृषा द्विवेदी 'मेघ'उन्नाव(उत्तर प्रदेश)***************************************** (रचना शिल्प:विधाता छन्द,बहर-१२२२×४,रस-वीर) मुझे जाना शहर ये छोड़ फिर वापस नहीं आना,लिखूँगी भाग्य मैं खुद का यही संकल्प है ठाना। नहीं रुकना सफर चाहे मुझे तन्हा…

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