डॉ. विभाषा मिश्र
रायपुर(छत्तीसगढ़)
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काव्य संग्रह हम और तुम से
साल बीतता गया,
दूरियाँ बढ़ती गई
मग़र जो कुछ,
बचा रह गया
वह केवल प्यार…।
जो शब्दों से,
ज़ाहिर न हो सका
न ही उसे किसी,
बहाने की तलाश थी।
फिर भी न जाने,
कुछ अनकहा शब्द
हम दोनों के बीच,
अचानक ही नया
मोड़ लेकर आ गया।
हम और तुममें,
एक अनसुलझी
पहेली ने अपना घर,
बनाकर रख लिया और
हम और तुम के बीच,
जो दीवार खिंच-सी गई…।
उसके भरने का ही,
अब इंतज़ार बाक़ी रह गया…॥
परिचय-डॉ.विभाषा मिश्र का जन्म २३ मार्च १९८२ को राजिम(छत्तीसगढ़)में हुआ है। वर्तमान में रायपुर (छत्तीसगढ़)में ही निवासरत डॉ. मिश्र को हिंदी, अंग्रेजी सहित छत्तीसगढ़ी व उड़िया भाषा का भी ज्ञान है। आपकी पूर्ण शिक्षा-एम.ए.(हिंदी),एम.एड., पी.जी.डिप्लोमा इन योग एवं दर्शनशास्त्र,पी-एच.डी.(हिंदी),पी.जी.डिप्लोमा( छत्तीसगढ़ी भाषा)एवं साहित्य (अध्ययनरत) है। कार्यक्षेत्र-शासकीय विश्वविद्यालय में अतिथि व्याख्याता(छत्तीसगढ़ी, हिंदी) का है। सामाजिक गतिविधि में प्रतियोगी परीक्षाओं के विद्यार्थियों को परीक्षा हेतु उचित मार्गदर्शन देती हैं। इनकी लेखन विधा-कविता, कहानी,लघुकथा व आलेख है। आपके खाते में प्रकाशित पुस्तक-संग्रह में पुस्तक ‘हरिवंश राय ‘बच्चन’ की आत्मकथात्मक रचनाएँ'(२०१९)
संग्रह-सृजन अभिलाष (२०२०) है। ऐसे ही कई पत्र-पत्रिकाओं में रचनाओं सहित विभिन्न राष्ट्रीय शोध-पत्रिकाओं,अंतरजाल एवं पुस्तकों में शोध-पत्रों का प्रकाशन हुआ है। आपको बुज़ुर्गों की चौपाल समाजसेवी संस्था की ओर से सम्मान (२०१९),श्रेष्ठ कवयित्री सम्मान(२०२०),श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान (२०२०),’सर्टिफिकेट ऑफ़ इमर्जन्स सम्मान(मुम्बई, २०२०),महादेवी वर्मा शक्ति सम्मान(२०२०)आदि मिले हैं,जबकि विशेष उपलब्धि-आकाशवाणी एवं दूरदर्शन (रायपुर) से रेडियो नाटक,परिचर्चा एवं सांगीतिक कार्यक्रमों का प्रसारण एवं विश्वविद्यालय स्तरीय युवा उत्सव में मंच संचालन है। डॉ.विभाषा की लेखनी का उद्देश्य-भाषा के प्रति समर्पण व लगाव है। पसंदीदा लेखक-मुंशी प्रेमचंद एवं महादेवी वर्मा हैं तो प्रेरणापुंज-पिता डॉ.चित्तरंजन कर (प्रसिद्ध भाषा वैज्ञानिक) हैं। विशेषज्ञता-गद्य लेखन में है। इनके जीवन का लक्ष्य-हिंद व हिंदी के प्रति सच्ची निष्ठा प्रदान कर सकना है। देश और हिंदी के प्रति विचार-“हिंदी भाषा को विश्वभाषा बनने की ओर अग्रसर करना है।”