प्रियतम मेरे आ मिलो

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)***************************************************** रात सुहानी चाँदनी,सबके मन को भाय।शीतल मंद समीर में,लगे हिया हरषायll तारों से जगमग धरा,धवल ज्योत्सना रंग।ऐसे में खुश रागिनी,पाकर पिय का संगll शरद पूर्णिमा चाँदनी,रजनी भी सुनसान।प्रियतम मेरे आ मिलो,तुम हो मेरी जानll सागर की लहरें चले,देख चाँद के पार।मिलने की चाहत लिए,पाने को वह प्यारll गहन तिमिर रातें … Read more

प्रीति शर्मा असीम एवं योगेन्द्र प्रसाद मिश्र प्रथम विजेता

‘शरद पूर्णिमा’ पर आयोजित स्पर्धा में हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’ व डॉ. शरद खरे ने पाया दूसरा स्थान इंदौर। हिंदीभाषा डॉट कॉम परिवार द्वारा अक्टूबर में ‘शरद पूर्णिमा’ पर आयोजित स्पर्धा के परिणाम घोषित कर दिए गए हैं। इस बार पद्य वर्ग में प्रीति शर्मा असीम(हिमाचल प्रदेश)को प्रथम व हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’ (छत्तीसगढ़) को … Read more

प्यार,समर्पण करवा चौथ

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************************* प्रेमिल गहरा राज़ ले,आती करवा चौथ।मिलन कराती देह का,भाती करवा चौथ। चंदा बनता साक्षी,गाता नेहिल गीत,हियकर मधुरिम चाँदनी,लाती करवा चौथ। प्रेम बढ़े तब और भी,जब आता यह पर्व,अंतर्मन की प्रीति को,गाती करवा चौथ। यादों के सँग,नेहरस,की देती सौगात,प्यार,समर्पण भेंट दे,जाती करवा चौथ। छलनी के पीछे दिखे,मनहारी इक रूप,अपनेपन के भाव … Read more

‘कोरोना’ का द्वन्द्व-ईश्वर या विज्ञान

डॉ. वरुण कुमारदिल्ली****************************** यह ‘तालाबंदी’ काफी लंबी खींची गई है और उसके बाद धीरे-धीरे खोलने (अनलॉक) की कोशिशें चल रही हैं। जब यह शुरू हुई थी तो नई स्थिति और नई चुनौती ने कई तरह से मनुष्य को उद्धेलित किया था-भय,बेबसी,गुस्सा,संवेदना,भविष्य में क्या होगा इसकी आशंकाएं आदि। इसने नए सिरे से एक वैचारिक प्रश्न को … Read more

यादें

देवश्री गोयलजगदलपुर-बस्तर(छग)********************************************** प्रेम से पगे पत्र,जिसमें गुलाबों की…खुशबू होती थी,आज भी जेहन में…वो पत्र और उसकी,खुशबू बरकरार होती है…lफूल मुरझा चुकेहोते हैं…इबारत दिख नहींरही होती है…फिर भी अहसास से,लबरेज उसकीयादें होती हैं…lमन के किसी,कोने में दफन…पलों की पाकीज़गी का,जिक्र करती धड़कनों…का हिसाब होती है…lये यो जागीर होती है,जो सबकी…सबसे प्यारी,सम्पति होती है…lकोई साझेदारी नहीं,नहीं कोई … Read more

मंजिल दूर नहीं

उमेशचन्द यादवबलिया (उत्तरप्रदेश) ****************************************** हुए सफल ना एक बार तो,बार-बार प्रयास करोमन में हर्ष उल्लास लिए,नया-नया अभियान करोlनव जोश नव उमंगें भर के,चलो,होना तुम मजबूर नहींहँसते-खेलते चलो मुसाफिर,अब मंजिल दूर नहींll हौंसले रखो ऐसे कि,तूफानों को मोड़ देबुलंद करो खुद को ऐसे कि,पर्वत भी रास्ता छोड़ देlवीर वही कहलाते हैं जो,कभी हुए हैं चकनाचूर नहींहँसते-खेलते चलो … Read more

परिष्कृत जीवन शैली ही अध्यात्म

अमल श्रीवास्तव बिलासपुर(छत्तीसगढ़) ************************************************** आध्यात्म के विषय में लोगों के बीच काफी भ्रामक धारणा बनी हुई हैl वास्तव में अध्यात्म स्वयं को पहचानने की एक विधा है,परिष्कृत जीवन-शैली है और स्वयं के विकारों का शमन है,जो कहीं पर भी हो सकता हैl इसके लिए एकान्तवास‌,वनवास अथवा हिमालय की ‌तलहटी जरूरी नहीं हैl जीवन के किसी भी … Read more

बंधुत्व ही हिंदुत्व

डॉ.वेदप्रताप वैदिकगुड़गांव (दिल्ली) ************************************************** हर विजयदशमी को याने दशहरे के दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखिया नागपुर में विशेष व्याख्यान देते हैं,क्योंकि इस दिन संघ का जन्म-दिवस मनाया जाता है। इस बार संघ-प्रमुख मोहन भागवत से मैं इस बात से प्रभावित हुआ कि उनकी भाषा याने हिंदी इतनी शुद्ध और सारगर्भित थी कि,दिल्ली में तो ऐसी … Read more

हो बेटी निर्बाध

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* देखो कलियुग कालिमा,फैला है व्यभिचार।निशिदिन मरती बेटियाँ,लाचारी सरकारll लव ज़िहाद के नाम पर,परिवर्तन नित धर्म।फाँस रहे मासूम को,प्यार नाम दुष्कर्मll भोली-भाली बेटियाँ,फँसती झूठा प्यार।बेच रही निज अस्मिता,धोखा हत्या हारll अद्भुत है निर्लज्जता,असंवेदित भाव।पागलपन हिंसक प्रकृति,खल कामी दे घावll मति विवेक चिन्तन विरत,पशुता है आचार।निर्भय हैं वे मौत से,आदत से … Read more

इसलिए,रावण-कंस को डर नहीं लगता

संजय जैन मुम्बई(महाराष्ट्र) ******************************************** राम थे महान इसलिए,लोग करते हैं उनका गुण-गानराम थे मर्यादा पुरूषोत्तम,इसलिए शक्तिशाली थे।राम थे विष्णु के अवतार,इसलिए पृथ्वीवासियों केदु:ख हरने आए थे,राम की बात सब करते हैंपर क्या उनका,आचरण अपनाते हैं ?बस राम का इस्तेमाल,सब करते हैंपरन्तु उनके कथनों,को नहीं अपनाते।आज-कल तो यह,विचारधारा है किराम-राम की लूट है,जो जितना चाहे लूट।कल क्या … Read more