रूप तुम्हारा
सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* रूप तुम्हारा बल्ले बल्ले,आँख शराबी वाह-वाह जी।गालों पे जो तिल है तुम्हारे,वो हमें पुकारे वाह-वाह जी। गर्दन सुराहीदार तुम्हारी,होंठ गुलाबी पंखुड़ी जी।आँखों की भाषा…