कुल पृष्ठ दर्शन : 235

You are currently viewing उनके गुण गाता हूँ

उनके गुण गाता हूँ

अख्तर अली शाह `अनन्त`
नीमच (मध्यप्रदेश)

****************************************************************

माँ के प्रति जो श्रद्धा रखते,
मैं उनके गुण गाता हूँ,
अपना मस्तक श्री चरणों में,
उनके यार झुकाता हूँ।

रक्षा हित सीमा पर सैनिक,
अपना शीश कटाते हैं।
जननी पर जां अर्पित करने,
बड़े शौक से जाते हैंl
नतमस्तक जब देह समर्पित,
करते उनको पाता हूँ।
अपना मस्तक श्री चरणों में,
उनके यार झुकाता हूँll

जो चोला बलिदानी पहने,
शौर्य संग इठलाते हैं।
विपदाओं का विष पीकर जो,
तनिक नहीं भय खाते हैंl
मैं उनके बलिदानी तेवर,
देख-देख हर्षाता हूँ।
अपना मस्तक श्री चरणों में,
उनके यार झुकाता हूँll

क्या मजाल जो माँ पर आँख,
उठा कर कोई गुर्राए।
क्या मजाल जो अपशब्दों से,
लज्जित माँ को कर जाए।
माँ के प्रति ऐसे भावों पर,
मैं सर्वस्व लुटाता हूँ।
अपना मस्तक श्री चरणों में,
उनके यार झुकाता हूँll

सर्दी-गर्मी सहकर भी जो,
राष्ट्र प्रेम को गाते हैं।
जो दुष्टों को उनकी भाषा,
में ही सबक सिखाते हैं।
मैं उनके संकल्पों को,
बल देते नहीं अघाता हूँ।
अपना मस्तक चरणों में,
उनके यार झुकाता हूँll

अर्पित करूँ सैनिकों को मैं,
भाव सुमन ये जी चाहे।
हँसता-खिलता रहे सदा,
मेरा गुलशन ये जी चाहे।
मैं अनंत कैसे उनको,
मजबूत करूँ अकुलाता हूँ।
अपना मस्तक श्री चरणों में,

उनके यार झुकाता हूँll

Leave a Reply