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रणचंडी बन जाओ

डॉ.शैल चन्द्रा
धमतरी(छत्तीसगढ़)
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`निर्भया`,`प्रियंका` न जाने,
कितनी लड़कियों पर होता रहेगा अत्याचार।
कब होगा इन बलात्कारियों पर प्रहार!
संस्कार धरा भारत भू का कहाँ गया संस्कार,
राम-कृष्ण की धरा पर मचा है हाहाकार।

दुर्गा-काली-लक्ष्मी के रुप में पूजी जाती है नारी,
पर उसी नारी को बना देते हैं ये दुष्ट बेचारी।
सरेराह उसकी लज्जा होती है नीलाम,
अरे! भारत के लोगों करो अब कुछ ऐसा कामl
पापियों-दुष्टों का करो अब संहार,
बन जाओ बेटियों अब काली का अवतार।

ऐसे दुष्टों का पीना है अब खून,
भारत की बेटी अब कान खोलकर सुन।
रणचंडी बन आततायियों के नरमुंडों का कर श्रृंगार,
लगा रक्त का तिलक करो पिशाचों का संहार।
ओ भारत की बेटी,अपनी रक्षा स्वयं करनी है,
इस भारत में कोई अब कृष्ण नहीं
जो चीर बढ़ाने आएl

भारत के पुरुषों का पौरुष का अंत हुआ,
सबने चूड़ियां पहनी हैl
तभी तो ऐसी घटना आम हुई है,
अब खुद पर भरोसा तुझे करना है….
अपनी लड़ाई तुझे खुद ही लड़नी हैll

परिचय-डॉ.शैल चन्द्रा का जन्म १९६६ में ९ अक्टूम्बर को हुआ है। आपका निवास रावण भाठा नगरी(जिला-धमतरी, छतीसगढ़)में है। शिक्षा-एम.ए.,बी.एड., एम.फिल. एवं पी-एच.डी.(हिंदी) है।बड़ी उपलब्धि अब तक ५ किताबें प्रकाशित होना है। विभिन्न कहानी-काव्य संग्रह सहित राष्ट्रीय स्तर के पत्र-पत्रिकाओं में डॉ.चंद्रा की लघुकथा,कहानी व कविता का निरंतर प्रकाशन हुआ है। सम्मान एवं पुरस्कार में आपको लघु कथा संग्रह ‘विडम्बना’ तथा ‘घर और घोंसला’ के लिए कादम्बरी सम्मान मिला है तो राष्ट्रीय स्तर की लघुकथा प्रतियोगिता में सर्व प्रथम पुरस्कार भी प्राप्त किया है।सम्प्रति से आप प्राचार्य (शासकीय शाला,जिला धमतरी) पद पर कार्यरत हैं।

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