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पुस्तक पढ़ ज्ञानी बनें

डॉ.एन.के. सेठी
बांदीकुई (राजस्थान)

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विश्व पुस्तक दिवस स्पर्धा विशेष……

पुस्तक होती है सदा,सबसे अच्छा मित्र।
ज्ञान हमें देती यही,प्रस्तुत करती चित्र॥

पुस्तक पढ़कर के सदा,बनता है विद्वान।
जीवन के हर दुःख का,मिलता उसे निदान॥

पुस्तक पढ़कर के मिले,जीवन में संस्कार।
सरस्वती की हो कृपा,होवे शुद्ध विचार॥

माता पुस्तकधारिणी,करती कृपा अपार।
करता उसकी भक्ति जो,मिट जाय अंधियार॥

पुस्तक पढ़कर भी मनुज,करता दुर्व्यवहार।
ज्ञान अधूरा प्राप्त कर,रखता है कुविचार॥

पुस्तक गुण की खान है,अवगुण करती दूर।
नित्य नए संधान हो,ज्ञान मिले भरपूर॥

वर्ण-वर्ण मिलके बनी,सुंदर एक किताब।
जिसको पढ़ विद्वान हो,सबका करे हिसाब॥

पुस्तक भेद नहीं करे,निर्धन हो धनवान।
जो करता है मित्रता,उनको देती ज्ञान॥

पुस्तक के हर शब्द का,होता बड़ा प्रभाव।
मन से पढ़ता जो मनुज,वह पाता सद्भाव॥

पुस्तक पढ़ ज्ञानी बनें,पाए जग में मान।
सपने सच होते सकल,मिलता सभी निदान॥

परिचय-पेशे से अर्द्ध सरकारी महाविद्यालय में प्राचार्य (बांदीकुई,दौसा)डॉ.एन.के. सेठी का बांदीकुई में ही स्थाई निवास है। १९७३ में १५ जुलाई को बांदीकुई (राजस्थान) में जन्मे डॉ.सेठी की शैक्षिक योग्यता एम.ए.(संस्कृत,हिंदी),एम.फिल.,पीएच-डी., साहित्याचार्य,शिक्षा शास्त्री और बीजेएमसी है। शोध निदेशक डॉ.सेठी लगभग ५० राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में विभिन्न विषयों पर शोध-पत्र वाचन कर चुके हैं,तो कई शोध पत्रों का अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशन हुआ है। पाठ्यक्रमों पर आधारित लगभग १५ व्याख्यात्मक पुस्तक प्रकाशित हैं। कविताएं विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। आपका साहित्यिक उपनाम ‘नवनीत’ है। हिंदी और संस्कृत भाषा का ज्ञान रखने वाले राजस्थानवासी डॉ. सेठी सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत कई सामाजिक संगठनों से जुड़ाव रखे हुए हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत तथा आलेख है। आपकी विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में शोध-पत्र का वाचन है। लेखनी का उद्देश्य-स्वान्तः सुखाय है। मुंशी प्रेमचंद पसंदीदा हिन्दी लेखक हैं तो प्रेरणा पुंज-स्वामी विवेकानंद जी हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-
‘गर्व हमें है अपने ऊपर,
हम हिन्द के वासी हैं।
जाति धर्म चाहे कोई हो 
हम सब हिंदी भाषी हैं॥’

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