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खुशियों की जननी है बेटी

ओमप्रकाश मेरोठा
बारां(राजस्थान)
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ईश्वर का उपहार है बेटी,
सुबह की पहली किरण है बेटी
नए-नए रिश्ते बनाती है बेटी,
जिस घर जाए उजाला लाती है बेटी।

घर की चहल-पहल है बेटी,
जीवन में खिला कमल है बेटी
कभी धूप गुनगुनी सुहानी,
कभी चंदा शीतल है बेटी।

एक मीठी-सी मुस्कान है बेटी,
यह सच है कि मेहमान है बेटी
उस घर की पहचान बनने चली,
जिस घर से अनजान है बेटी।

पापा की जान है बेटी,
घर की लक्ष्मी है बेटी
दादा-दादी की लाड़ली है बेटी,
परिवार की शान है बेटी।

देवालय में बजते शंख की ध्वनि है बेटी,
देवताओं के हवन-यज्ञ की अग्नि है बेटी।
खुशनसीब हैं वह जिनके आँगन में है बेटी,
जग में तमाम खुशियों की जननी है बेटी॥

परिचय-ओमप्रकाश मेरोठा का निवास राजस्थान के जिला बारां स्थित छबड़ा(ग्राम उचावद)में है। ७ जुलाई २००० को संसार में आए श्री मेरोठा ने आईटीआई फिटर और विज्ञान में स्नातक किया है,जबकि बी.एड. जारी है। आपकी रचनाएं दिल्ली के समाचार पत्रों में आई हैं। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में भारत स्काउट-गाइड में राज्य पुरस्कार (२०१५)एवं पद्दा पुरस्कार(२०२०)आपको मिला है।

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