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पंछी

मनोरमा जोशी ‘मनु’ 
इंदौर(मध्यप्रदेश) 
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देखकर हालात कहता,
है मेरे मन का अनुभव…
नीड़ का निर्माण होना,
है अब तो असंभव।
देखते हो क्या नहीं तुम,
घिर उठी बदली गगन में…
आँकते हो क्या नहीं तुम,
क्षणिक देरी है प्रलय में।
बहेलिये का सर सधा है,
आज इस नन्हें सदन में…
जीत होगी क्या हमारी,
हो रही शंका हृदय में।
स्वप्न का साकार होना,
है अब तो असंभव…
नीड़ का निर्माण होना,
है अब तो असंभव…॥
मिलन के इन मृदु क्षणों में,
क्यों न पूछूं प्रश्न नटवर…
धन्य यदि जग पा सके कुछ,
शव हमारा प्राण प्रणवर।
सुन बहे उदगार सत्वर,
मिलन का अभिसार होना।
जीवन का संभव होना,
है अब तो असंभवll

परिचय–श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर जिला स्थित विजय नगर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा-स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र-सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं।विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी का प्रकाशन होता रहा है। राष्ट्रीय कीर्ति सम्मान सहित साहित्य शिरोमणि सम्मान और सुशीला देवी सम्मान प्रमुख रुप से आपको मिले हैं। उपलब्धि संगीत शिक्षक,मालवी नाटक में अभिनय और समाजसेवा करना है। आपके लेखन का उद्देश्य-हिंदी का प्रचार-प्रसार और जन कल्याण है।कार्यक्षेत्र इंदौर शहर है। आप सामाजिक क्षेत्र में विविध गतिविधियों में सक्रिय रहती हैं। एक काव्य संग्रह में आपकी रचना प्रकाशित हुई है।

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