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पुस्तकों तुम सदा रहो

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’
जमशेदपुर (झारखण्ड)
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विश्व पुस्तक दिवस स्पर्धा विशेष……

पुस्तकें हैं मित्र सखी जीवन के सुख-दु:ख में,
पुस्तकें हैं पढ़ती मनोवैज्ञानिक-सी हमें भी।
पुस्तकें है साथी विश्वास से अपना बनाती,
पुस्तकें हैं समझती प्रेम की वो पराकाष्ठा।
पुस्तकें हैं रखती संभाल प्रेम का प्रथम पुष्प,
पुस्तकें हैं छुपा रखती अमूल्य भाव पत्रों का।
पुस्तकें हैं तिजोरी रखती रुपए पन्नों बीच,
पुस्तकें हैं भारती लेखनी के मर्म को।
पुस्तकें हैं बढा़ती सदा साहित्य का गौरव,
पुस्तकें हैं विज्ञान तकनीकी चिकित्सा ज्ञान।
पुस्तकें हैं रामचरितमानस प्रभुराम जीवन स्तुति,
पुस्तकें हैं उपदेश कृष्ण के भागवत गीता में।
पुस्तकें हैं जगाती हृदय में बुद्ध की करुणा,
पुस्तकें हैं बाइबल कुरान के वो सुंदर अर्थ।
पुस्तकें हैं दीपक अज्ञान और तम में,
पुस्तकें हैं ब्रह्म शब्द ब्रह्मांड दिशाओं से लाती।
पुस्तकें हैं शक्ति विश्वास का संबल जगाती,
पुस्तकें हैं सजाती मातृभूमि के भाल कुंकुम।
पुस्तकें हैं सिखाती हमें अन्याय से लड़ना,
पुस्तकें हैं बोलते अक्षर जो इतिहास बनाता।
पुस्तकें हैं प्रगति पथ अधूरी सभ्यताओं का,
पुस्तकें हैं राग सभ्यता औ संस्कृति का।
पुस्तकें हैं संगीत कवि के छंदों-कृतियों में,
पुस्तकें हैं कविता,कहानी औ अभिनय।
पुस्तकें हैं मानवता यात्राओं का दर्शन ग्रंथ,
पुस्तकें हैं संघर्ष उन बीते पल वर्षों का।
पुस्तकें हैं मंथन अधूरे ज्ञान औ विकृत चेतन में,
पुस्तकें हैं भक्ति परम की शक्ति की।
पुस्तकें हैं अनुपम धरोहर सदा संस्कृतियों की,
पुस्तकें हैं गवाह पुरातन वर्तमान भविष्य का।
पुस्तकें हैं सिखाती दुषित विकृति को तजना,
पुस्तकें हैं सिखाती ज्वलित अंगार बन तपना।
पुस्तकें हैं तालपत्र कागज अब इलेक्ट्रॉनिक में,
पुस्तकें सदा सजी रहो हमारे घर पुस्तकालयों में।
रहना सदा साथ साथी बनकर तुम पुस्तकों,
अभी गोता लगाना बाकी है तुम्हारी गहराईयों में…॥

परिचय- डॉ.आशा गुप्ता का लेखन में उपनाम-श्रेया है। आपकी जन्म तिथि २४ जून तथा जन्म स्थान-अहमदनगर (महाराष्ट्र)है। पितृ स्थान वाशिंदा-वाराणसी(उत्तर प्रदेश) है। वर्तमान में आप जमशेदपुर (झारखण्ड) में निवासरत हैं। डॉ.आशा की शिक्षा-एमबीबीएस,डीजीओ सहित डी फैमिली मेडिसिन एवं एफआईपीएस है। सम्प्रति से आप स्त्री रोग विशेषज्ञ होकर जमशेदपुर के अस्पताल में कार्यरत हैं। चिकित्सकीय पेशे के जरिए सामाजिक सेवा तो लेखनी द्वारा साहित्यिक सेवा में सक्रिय हैं। आप हिंदी,अंग्रेजी व भोजपुरी में भी काव्य,लघुकथा,स्वास्थ्य संबंधी लेख,संस्मरण लिखती हैं तो कथक नृत्य के अलावा संगीत में भी रुचि है। हिंदी,भोजपुरी और अंग्रेजी भाषा की अनुभवी डॉ.गुप्ता का काव्य संकलन-‘आशा की किरण’ और ‘आशा का आकाश’ प्रकाशित हो चुका है। ऐसे ही विभिन्न काव्य संकलनों और राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में भी लेख-कविताओं का लगातार प्रकाशन हुआ है। आप भारत-अमेरिका में कई साहित्यिक संस्थाओं से सम्बद्ध होकर पदाधिकारी तथा कई चिकित्सा संस्थानों की व्यावसायिक सदस्य भी हैं। ब्लॉग पर भी अपने भाव व्यक्त करने वाली श्रेया को प्रथम अप्रवासी सम्मलेन(मॉरीशस)में मॉरीशस के प्रधानमंत्री द्वारा सम्मान,भाषाई सौहार्द सम्मान (बर्मिंघम),साहित्य गौरव व हिंदी गौरव सम्मान(न्यूयार्क) सहित विद्योत्मा सम्मान(अ.भा. कवियित्री सम्मेलन)तथा ‘कविरत्न’ उपाधि (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ) प्रमुख रुप से प्राप्त हैं। मॉरीशस ब्रॉड कॉरपोरेशन द्वारा आपकी रचना का प्रसारण किया गया है। विभिन्न मंचों पर काव्य पाठ में भी आप सक्रिय हैं। लेखन के उद्देश्य पर आपका मानना है कि-मातृभाषा हिंदी हृदय में वास करती है,इसलिए लोगों से जुड़ने-समझने के लिए हिंदी उत्तम माध्यम है। बालपन से ही प्रसिद्ध कवि-कवियित्रियों- साहित्यकारों को देखने-सुनने का सौभाग्य मिला तो समझा कि शब्दों में बहुत ही शक्ति होती है। अपनी भावनाओं व सोच को शब्दों में पिरोकर आत्मिक सुख तो पाना है ही,पर हमारी मातृभाषा व संस्कृति से विदेशी भी आकर्षित होते हैं,इसलिए मातृभाषा की गरिमा देश-विदेश में सुगंध फैलाए,यह कामना भी है

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