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योग-प्रकृति में ही सुरक्षित अपनी डोर

राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’
धनबाद (झारखण्ड) 
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आओ बंधु सुनो सभी,कहता हूँ एक बात भली,
विशिष्टता के चक्कर में जीवन शैली बदल डाली
इसमें नहीं कोई स्थाई सुख जान लो तुम यह बात,
सुख है अपनी संस्कृति और पर्यावरण के साथ।

गर्भ से देते बच्चों को कैल्शियम-आयरन की गोली,
जन्म से पुस्तक मोबाइल और वीडियो गेम का साथ
बड़े हुए तो काम,पैसा,कुर्सी और स्वार्थ की ही बात,
बताओ कैसे मिलेगी स्वस्थ संस्कृति की उसे सौगात ?

बच्चों से अब दादा-दादी का साथ छूटा,
रामायण पंचतंत्र हितोपदेश का नाता छूटा
पड़ोसियों संग मिलना-खेलना व प्यार छूटा,
समझो एकता और संस्कार का है मंत्र टूटा।

नेता लड़ते कुर्सी की खातिर ही स्वार्थ में,
जनता लड़ती नेता की खातिर ही व्यर्थ में
फलस्वरुप देश जा रहा है पतन के रास्ते,
संभल जाओ सभी अपने वतन के वास्ते।

जिसे हम प्रतिष्ठित जीवन-शैली समझते हैं,
वह भ्रमित कर सामान बेचने का जरिया है
जिसे हम पुराना फैशन समझ छोड़ रहे हैं,
वही तरक्की,सत्य और शांति का दरिया है।

ध्यान लगाओ सभी एक बात पर,
चिकित्सक लेते नहीं जल्दी दवाई
घर का ही खाना खाते हैं हलवाई,
हमसे करते सभी अपनी जेब भराई।

कहता ‘राजू’ पाश्चात्य संस्कृति को छोड़,
अपनी संस्कृति से ही सभी नाता जोड़।
योग-प्रकृति में ही सुरक्षित अपनी डोर,
इससे होगा पुनः स्वास्थ्य शांति का दौर॥

परिचय–साहित्यिक नाम `राजूराज झारखण्डी` से पहचाने जाने वाले राजू महतो का निवास झारखण्ड राज्य के जिला धनबाद स्थित गाँव- लोहापिटटी में हैL जन्मतारीख १० मई १९७६ और जन्म स्थान धनबाद हैL भाषा ज्ञान-हिन्दी का रखने वाले श्री महतो ने स्नातक सहित एलीमेंट्री एजुकेशन(डिप्लोमा)की शिक्षा प्राप्त की हैL साहित्य अलंकार की उपाधि भी हासिल हैL आपका कार्यक्षेत्र-नौकरी(विद्यालय में शिक्षक) हैL सामाजिक गतिविधि में आप सामान्य जनकल्याण के कार्य करते हैंL लेखन विधा-कविता एवं लेख हैL इनकी लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक बुराइयों को दूर करने के साथ-साथ देशभक्ति भावना को विकसित करना हैL पसंदीदा हिन्दी लेखक-प्रेमचन्द जी हैंL विशेषज्ञता-पढ़ाना एवं कविता लिखना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिंदी हमारे देश का एक अभिन्न अंग है। यह राष्ट्रभाषा के साथ-साथ हमारे देश में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसका विकास हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए अति आवश्यक है।

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