एक दुर्भिक्षुक

सच्चिदानंद किरणभागलपुर (बिहार)**************************************** सुचिभेद्य अंधकार को,भेदित‌ कर कलांतरसे दुर्भिक्ष को क्या पता ?कब कहां आराम है,या हो कोहराम…दुर्दिन के साए में,लिपटे खोज रहा!अपनी फूटी किस्मत पररो-रो पेट की,‌क्षुब्ध क्षुधा‌ मिटाने…

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दास्तां

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* रहे दास्तां यदि जीवित तो, पाती तब वह मान है।गौरव में जीवन की शोभा, मिलता नित यशगान है॥ दीन-दुखी के अश्रु पौंछकर, जो देता है सम्बलपेट…

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दिल के अरमां…

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*************************************** देखना एक दिन,दुनिया से चले जाएंगेढूंढते फिरोगे,बिल्कुल नज़र नहीं आएंगेचर्चे होंगे हमारी वफ़ा के,इस जमीं परऔर हम सिर्फ,तस्वीर में नजर आएंगे। बेजान-सी तन्हाई तुम्हें,जीने नहीं देगीरात के…

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विचलित हूँ

संदीप धीमान चमोली (उत्तराखंड)********************************** विचलित हूँ विचरण पथ पेअंतःकरण में होता सोर,उर दौड रहा अचरज रथ पेधूमिल राह मेरी हर ओर। मानो तो जैसे कोहरागर्जन हो बादल-सा सोर,योग-भोग के मध्य तर्जनटकरा…

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हँसता हूँ, मगर उल्लास नहीं

गोपाल मोहन मिश्रदरभंगा (बिहार)***************************************** हँसता हूँ मगर उल्लास नहीं, रोने पे मुझे विश्वास नहीं,इस मूरख मन को जाने क्यों, ये जी बहलावे रास नहीं। अश्रु का खिलौना टूट गया, मुस्कान…

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चाय का जायका

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीमनेन्द्रगढ़ (छत्तीसगढ़)********************************************* ठिठुरती सर्दियों में जब मिल जाए,एक गरमा-गरम कड़क चाय की प्यालीतो सचमुच अप्सरा लगे घरवाली। साथ में गर हो कुरकुरे पकौड़े की थाली,और तीखी चटनी टमाटर…

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वो आयें ना मधुमास में

डॉ. कुमारी कुन्दनपटना(बिहार)****************************** नैना भर-भर आये सखी रे,वो आयें ना आयें इस आस मेंजाने वो कौन-सी मजबूरी है,वो आयें ना मधुमास में। पंछी चहक-चहक कर बोले,उन्मुक्त नीले आकाश मेंवल्लरिया पेड़ों…

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भक्त राम हनुमान

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* सजा थाल कर्पूर की, करूँ आरती ईश।आंजनेय हनुमान की, केशरि नंद कपीश॥ रोम-रोम तनु राममय, भक्त राम हनुमान।भोर भयो सुमिरन करूँ, मंगलमय सब काम॥…

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कोई जब जाता है

अरुण वि.देशपांडेपुणे(महाराष्ट्र)************************************** कोई अपना अचानक,हमेशा के लिए छोड़दूर-दूर चला जाता है,दर्द तो हो ही जाता है। मन को असहनीय पीड़ाहोती हैक्षण शोक-मग्न सारे,मन सुन्न-सा हो जाता है। वियोग का दु:ख…

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गाँधी-सा होना नहीं आसान

अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’कानपुर(उत्तर प्रदेश)********************************************* कुदरत ने जब भेज दी, बासन्ती सौगात।पागल मन करने लगा, बहकी महकी बात॥ गाँधी-सा होना नहीं, कभी रहा आसान।जन-जन इसको जानता, सबको इसका ज्ञान।…

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