रीति-प्रीति अनुपम

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) *********************************************** रीति-प्रीति अनुपम प्रथा मधुर,करवा का उपवास पर्व हैआज हुआ प्रियतम आश सफल,प्रिया प्रेम अहसास हर्ष है। शतंजीव सारोग्य प्रियम हो,कीर्ति जगत प्रख्यात सजन हैसात…

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प्रेम के कितने प्रमाण दें

संदीप धीमान चमोली (उत्तराखंड)********************************** करवा चौथ विशेष... प्रिय को प्रेम के कितने हम प्रमाण दें,रुह साक्षी, शब्दों में कैसे हम आयाम दें। मेरा हर कर्म उसपे जीता और मरता है,रुठे जो…

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संवेदनाओं का सम्मान हो

डॉ.अशोकपटना(बिहार)********************************** अनुभूति और सहानुभूति,संवेदनाओं का कहलाता संस्कार हैपृथ्वी पर सहर्ष प्रेम का,एक उन्नत व्यवहार है। यह अपनत्व और लगाव का,सुलभ सुन्दर संकेत देता हैजन-जन तक यह खुशियाँ,बिखेरने में खूब उत्साह,पैदा…

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खिले शरद पूनम करवा का चाँद

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’जमशेदपुर (झारखण्ड)******************************************* शरद पूर्णिमा-करवा चौथ विशेष... देख री सखी अनुपम है ये चंदा,मोहता मुझे शरद पूनम का चंदामन कमल खिला ले उद्गार भाव,अदभुत ज्योति ले आए है…

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अमर सुहाग

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* करवा चौथ विशेष.... हे करवा के चाँद, करती हूँ मैं व्रत,हे चौथ माता, सुनिए हमारी अर्ज। हे गणेश कर रही हूँ आपकी पूजा,अमर सुहाग करिए, मांग…

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बात निभानी है

अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’कानपुर(उत्तर प्रदेश)********************************************* कल बात कही थी जो वो बात निभानी है।उल्फ़त की कसम पूरी यूँ करने की ठानी है। कल तेरी कहानी थी अब मेरी कहानी…

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बरसे अमृत धरा तले

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* शरद पूर्णिमा विशेष... धवल चंद्र की चंद्रिका, शरद पूर्णिमा रात।बरसे अमृत धरा तले, स्वस्थ रखे हर गात॥ खीर बनाएं रात में, रखें चंद्रिका बीच।औषध युक्त बनाइए,…

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अमन-शांति का अलग मजा

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** छोड़ पाशविकता ये सोचो अमन-शांति का अलग मज़ा है।हो अशान्ति साम्राज्य जहाँ वो जीवन लगता एक सज़ा है॥ विश्व लगे उपवन के जैसा है महक उठे…

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हद पार

हेमराज ठाकुरमंडी (हिमाचल प्रदेश)***************************************** अपने ही क्यों झेले दंश हमेशा,रह कर खामोश बस सदा-सदाबेगाने लूट गए खजाने हो चाहे,कर के चापलूसियां यदा-कदा। हम मांगे तो कहते हैं लिहाज करो,वे मांगे…

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बदलाव

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************* इब्तिदा हो जीवन की जिस तरह से दुनिया में,उम्र भर न क्यूँ वैसी, बरकरार रहती है। साॅंस-धड़कनें ख़ुद ही हर घड़ी बदल जातीं,एक पल…

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