इतराता है चाँद

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* इतराता है चाँद तो, पा तुझ जैसा रूप।सच,तेरा मुखड़ा लगे, हर पल मुझे अनूप॥ चाँद बहुत ही है मधुर, इतराता भी ख़ूब।जो भी देखे,रूप में, वह…

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न वादा करो

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************* न वादा करो तुम, कभी भी किसी से।बदल कर यहां हाल, मिलते सभी से। यहां साॅंस-धड़कन, सभी कुछ बदलता,बदलकर किसी को, कभी फिर न…

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मन की बात

डॉ.सरला सिंह`स्निग्धा`दिल्ली************************************** मन की कई बातें सखी कहते नहीं।अपने-पराये की कभी सहते नहीं॥ सब पर नहीं होता असर इस पीर का।सबको सुना कर अश्रु अब बहते नहीं॥ लगता समय संवेदना…

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कैसे मिटे अभाव

बबीता प्रजापति ‘वाणी’झाँसी (उत्तरप्रदेश)****************************************** कहाँ गया प्रेम हृदय का,कहाँ गए वो भावह्रदय अब रिक्त हो चला,कैसे मिटे अभाव ? अब पीड़ा भी अन्तस की,मौन समाधि ले रहीकौन सुनेगा हरि सिवा,हृदय…

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राह ताकती साजन की

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* मैं बन के रह गई नई नवेली दुल्हन, पिया चले गए हैं परदेस,पैरों की महावर, हाथों की मेहन्दी लेकर बालम गए परदेस। 'देवन्ती' कैसे करेगी सिंगार,…

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देश की शान

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** डॉ. ए.पी.जे.अब्दुल कलाम जन्मदिन विशेष.. नाम 'कलाम',बहुत याद आएं-अनेक काम। रहे सरल,अंजाम बड़ी योजना-किया अमल। रहे निडर,मंत्र सबको दिया-बनो प्रखर। कलम धनी,पहुंचे धरा-नभ-बेहद गुणी। काम कमाल,वो 'मिसाईल…

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एक शपथ…जिम्मेदारी

डॉ.अशोकपटना(बिहार)********************************** यह जिम्मेदारी और जवाबदेही,का एक अपूर्व दर्शन हैसंवैधानिक व्यवस्था का,सबसे प्रबल आकर्षण है। यह एक दायित्वों-जिम्मेदारियों को,बतलाती हैकर्तव्यों को पूरा करने का,उत्तम पाठ पढ़ाती है। यह एक औपचारिक संकेत…

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प्रीत गूँथ रही

ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** देख सजन मैं प्रीत गूँथ रहीचौथ चाँद के छाँव में,मुझे बाँहों का हार पहनाइन तारों के गाँव में…। लाल मेंहदी लाल चुनरियालाली मोती के टीके,लाली रचाए लाल…

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माँ का सफर

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*************************************** मेरी माँ घर में सबसे बड़ी थी,हर मुश्किल में साथ खड़ी थीवर्षों बीत गए पिता को गुजरे,वो बेचारी गरीबी से लड़ी थी। पिताजी के होते कोई ग़म…

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राम राज्य की कल्पना व्यर्थ

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ********************************************************************** राम राज्य की कल्पना,व्यर्थ आज आलाप।लालच में है जन फॅंसा, सत्ता पद अभिशाप॥ मिथ्या छल दहशत घृणा, बिकते अब बाज़ार।राम राज्य की कल्पना, हास्य…

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