इश्क़ और हकीकत

ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** किसी दरख़्त पर,अब न कोई नाम मिलेगा,खामोश आशिकी का न कहीं पैग़ाम मिलेगा। न कोई आरजू न ख़्वाहिश न सलाम मिलेगा,पूछना महकती खुशबू से,वही पयाम मिलेगा। ढूँढने चले…

0 Comments

अपनों से दिल घबराने लगा

डॉ. अनिल कुमार बाजपेयीजबलपुर (मध्यप्रदेश)************************************************ जाने कैसा समां अब छाने लगा है,कि अपनों से दिल घबराने लगा है। पड़ती नहीं थी कभी जिन पर नजरें,अब उन्हीं पर ही प्यार आने…

0 Comments

बेगाने

रेणू अग्रवालहैदराबाद(तेलंगाना)************************************ जो तस्वीर में नज़दीक नज़र आते हैं।असल में वही दूर जा घर बसाते हैं। मिलते हैं जो घण्टे दो घण्टे के लिये,फ़िर जाने के लिये ग़ैरों-सा असर लाते…

0 Comments

हँसी में उदासी

रेणू अग्रवालहैदराबाद(तेलंगाना)************************************ सोंचा ज़िन्दगी रौशन हुई है हमारी,पता न था वो गुनाहों से घुली-मिली है। क़िस्मत थी कभी मेरी हमसफ़र,वो परिंदे-सी आज़ाद मनचली है। नसीबा इस क़दर रूठ जायेगा मेरा,आँख…

0 Comments

ह़सीं ‘गुलाब’ है तू

सरफ़राज़ हुसैन ‘फ़राज़’मुरादाबाद (उत्तरप्रदेश)**************************** इक शगुफ़्ता ह़सीं 'गुलाब' है तू।मेरी 'आँखों का इन्तेख़ाब है तू। जिसका हर ह़र्फ़ ह़र्फ़े उल्फ़त है,जानेमन 'वो खुली किताब है तू। फूल,कलियों में,चाँद,तारों में,यह 'ही…

0 Comments

सच्चे कर्म ही पहचान

अनिल कसेर ‘उजाला’ राजनांदगांव(छत्तीसगढ़)************************************ जीवन जीने के कई अरमान देता है,वतन के वास्ते जो अपनी जान देता है। सर उठा के कैसे है जिया जाता,भारत ही सभी को ये ज्ञान देता…

0 Comments

दूर वो हो जाते हैं

सरफ़राज़ हुसैन 'फ़राज़'मुरादाबाद (उत्तरप्रदेश)**************************** लोग जो अकसर ख़ारों से हो जाते हैं।दूर वो दिल के तारों से हो जाते हैं। आते हैं 'जब अपनी ज़िद पर' तो लोगों,दस्ते क़लम हथियारों…

0 Comments

मतलबी जहाँ

रेणू अग्रवालहैदराबाद(तेलंगाना)************************************ जब ग़म से दिल बेज़ार होता है।सब अपनों से ही ख़ार होता है। मतलबी जहाँ बेहिस लोग यहाँ,रो रो दिल तार तार होता है। ठोकर लगी खून-ए-जिगर से,तब…

0 Comments

बेवफा

ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** रचना शिल्प:१२२ १२२ १२२ १२ वज़्न.... दिखे तो न क्या हुई कयामत नहीं,कि जा हमें तुमसे मोहब्बत नहीं। कहूं किस तरह की तोहमत नहीं,हमें भी पसंद तेरी सोहबत…

0 Comments

चलते ही जा रहे

रेणू अग्रवालहैदराबाद(तेलंगाना)************************************ ज़िन्दगी शुरू हुई तबसे छलते ही जा रहे हैं।चलना सीखा जबसे चलते ही जा रहे हैं। उसूलों को निभाते जिस्म थक चुका हैअब बच्चों से हाथ मलते ही…

0 Comments