उसके नाम से

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’  छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ********************************************************************************************* जब-जब गले मिलेंगे यूँ पंडित इमाम से, गोहर मिलेंगे देश को अब्दुल कलाम से। ऐसी हवा चली है सियासत की आजकल, कोई…

Comments Off on उसके नाम से

जिंदगी

प्रदीपमणि तिवारी ध्रुव भोपाली भोपाल(मध्यप्रदेश) **************************************************************************** (रचना शिल्प:बह्र/अर्कान-२१२×४-फाउलुन×४) ज़िन्दगी आजमाती है इंसान को। वो परखती है इंसाँ के ईमान को। ज़िन्दगी हादसा खूबसूरत कहें, ज़िल्लतें बस दिखें यार नादान को। आम…

Comments Off on जिंदगी

दिन आ गये…..

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************** भूले-बिसरे गीत गाने के दिन आ गयेl समस्त शक्ति दिखाने के दिन आ गयेl माँ बहुत चाहती थी अपनी ब्याही बेटी, अब…

Comments Off on दिन आ गये…..

बहार आते चमन हँसेगा

अवधेश कुमार ‘आशुतोष’ खगड़िया (बिहार) **************************************************************************** (रचना शिल्प: १२१ १२१ १२१ २२) बहार आते चमन हँसेगा, कली-कली से सुमन खिलेगाl चढ़ा क्षितिज पर लिए चमक जो, भरी दुपहरी भुवन दहेगाl…

Comments Off on बहार आते चमन हँसेगा

ढल रहा हूँ…

मोहित जागेटिया भीलवाड़ा(राजस्थान) ***************************************************************************  न मंजिल न रास्ते जाने किस और चल रहा हूँ। ख्वाब अधूरे ही ख्वाब से आज निकल रहा हूँ। आशायें,विश्वास हैं कैसे जीवन जी रहा, उस…

Comments Off on ढल रहा हूँ…

चलो चलते हैं सरहद पर

अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’ कानपुर(उत्तर प्रदेश) ***************************************************** उन्हें लज्जा नहीं आती,उन्हें लज्जा न आने दो। हमें सरहद पे जाकर के ज़रा सर काट लाने दो। शहादत ये जवानों की…

Comments Off on चलो चलते हैं सरहद पर

बात समझने की है..

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************** नजर से नजर मिलाकर बात कर, झूठ ही तो टिका है नाहक ना डर। बात समझने की है ऐ मूर्ख मानव, अर्थहीन…

Comments Off on बात समझने की है..

चाँद को जलाते हो

सलिल सरोज नौलागढ़ (बिहार) ******************************************************************** शाम ढले तुम छत पे क्यूँ आते हो, मुझे मालूम है चाँद को जलाते हो। तुमसे ही नहीं रौशन ये जहाँ सारा, मुस्कुराकर तुम उसे…

1 Comment

तो क्या करूँ

निर्मल कुमार शर्मा  ‘निर्मल’ जयपुर (राजस्थान) ***************************************************** ये फ़ितरत में है मेरी,कि,अयाँ करता बयाँ हूँ मैं, अनानीयत,इसे समझे कोई,तो क्या करूँ फिर मैं। गालिब नहीं,ग़ाज़ी नहीं,ना गैर-मामूली हूँ मैं, इंसां हूँ,ना…

Comments Off on तो क्या करूँ

मैं पंछी हूँ

लालचन्द्र यादव आम्बेडकर नगर(उत्तर प्रदेश) *********************************************************************** विश्व धरा दिवस स्पर्धा विशेष…………… मैं पंछी हूँ,मैं जंगल की रानी हूँ, पेड़,लताएं,कुंजों की दीवानी हूँ। तुम दरख़्त को काट-काट ले जाते हो, तेरे…

Comments Off on मैं पंछी हूँ