स्वागतम्-२०२३

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* नया उजाला-नए सपने... नया भास्कर द्वारे आया, गूँजे नये तराने।किरणों में है नवल ताज़गी, हर पल लगे सुहाने॥ मंज़िल अब तो दूर न होगी,बस हमको चलना…

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तुम्हारी याद

स्वराक्षी 'स्वरा'खगड़िया (बिहार) ************************* सनम दिल जान से मैं तो, तुम्हें ही प्यार करती हूँ।बहुत ही कीमती है तू, तुम्हें खोने से डरती हूँ॥… मुझे दिन रात ही अब तो,…

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अटल हमारे, अटल तुम्हारे

अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’कानपुर(उत्तर प्रदेश)********************************************* 'अटल' जिंदगी... अटल हमारे अटल तुम्हारे,नहीं रहे अब बीच हमारे।जन-जन के थे राज दुलारे,अटल हमारे अटल तुम्हारे॥ बेबाक रहे बोल-चाल में,मस्ती दिखती चाल-ढाल में।अश्क…

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शुभ्रकमल सिंहासना

दुर्गेश कुमार मेघवाल ‘डी.कुमार ‘अजस्र’बूंदी (राजस्थान)************************************************** तू स्वर की देवी, माँ वीणापाणि,शुभ्रकमल सिंहासना।ममतामयी मूरत, बुद्धि की सूरत,प्रेम पूरण प्रति प्रेरणा।'अजस्र' तेरे चरणों में बैठा,कर जोड़े, करता माँ वंदना,ये वंदना, ये…

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भाग सके तो भाग

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ हाथ तिरंगा, सर पे पंगा,दिल में लेकर आग।निकल पड़े हम स्वाहा करने,तुझे कालिया नाग॥ जब चाहा तूने फुफकारा,वीर बांकुरों को ललकारासीमाओं पर घुस कर तूने,निर्दोषों को छल से…

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मेरी माँ

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ********************************************************** माँ तू जन्मदायिनी मेरी तू मेरा संसार है।मुझको लाई इस दुनिया में मुझ पर ये उपकार है॥ किलकारी सुनकर के मेरी माँ का मन हर्षाया था,ले…

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थर-थर काँपे काया

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ********************************************************** मास दिसम्बर सर्द महीना थर-थर कांपे काया।हुआ भास्कर लुप्त गगन में, इतना कोहरा छाया॥ बूँद ओस की हरे घास पर, लटक रहे ज्यों मोती,इतना ठंडा नीर…

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विवाह

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* नर-नारी यह चाहते, क़िस्मत जाए जाग।सात वचन के संग में, खेले नित अनुराग॥ अग्निदेव को पूजकर, माँग रहे वरदान,खुशियों से पूरित रहे, दोनों के अरमान।रहे हर्ष,गतिशीलता,…

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अदभुत प्रकृति

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ********************************************************** ईश्वर की संरचना देखो कितनी अद्भुत कितनी प्यारी।कैसे-कैसे फूल खिलाये हर खुशबू है न्यारी न्यारी॥ सूरज-चाँद-सितारे, उसने खेल-खिलौने अज़ब बनाये,है आश्चर्य शून्य से नभ में, इन…

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दिखावा

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ********************************************************** लोग दिखावे की खातिर ही प्यार जताते हैं सारे। लगा मुखौटा चहरे पर येघर तक भी आ जाते हैं,केवल झूठा प्यार जतारिश्ते रोज बनाते हैं।रहते मौके…

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