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अपना स्वयं सुधारक बन

डॉ.एन.के. सेठी
बांदीकुई (राजस्थान)

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जीवन में स्वानुशासित रहें,
शुद्ध रखें अपना तन-मन।
करें न कोई काम गलत,
अपना स्वयं सुधारक बन॥

आत्म निरीक्षण करें स्वयं का,
दोषों का हम शमन करें।
पर में अवगुण दोष देखना,
हम जीवन में बंद करें॥
गुण अन्वेषी बनें सदा हम,
बढ़ता इससे अपनापन।
करें नहीं कोई काम गलत
अपना स्वयं सुधारक बन…॥

काम क्रोध मद लोभ मोह को,
त्यागें हम अपने मन से।
अंदर-बाहर से एक बनें,
पर सेवा अपने तन से॥
लोक और परलोक सुधारें,
नश्वर है सब ये जन-धन।
करें नहीं कोई काम गलत,
अपना स्वयं सुधारक बन…॥

ईर्ष्या-द्वेष निकालें मन से,
स्नेह भाव आधान करें।
बचें रहें हम पर निंदा से,
इक-दूजे का मान करें॥
झूठ-फरेब नहीं रहे कहीं,
हो सच्चा सादा जीवन।
करें नहीं कोई काम गलत,
अपना स्वयं सुधारक बन…॥

तजें स्वार्थ निस्वार्थ बनें हम,
पर जन का उपकार करें।
कण-कण में परमात्म समाया,
ईश्वर का हम ध्यान धरें॥
हिंसा त्यागें बनें अहिंसक,
जगत मुक्ति का करें जतन।
करें नहीं कोई काम गलत,
अपना स्वयं सुधारक बन…॥

पर निंदा से बचें रहें हम,
अहंकार का त्याग करें।
तृष्णा-आशा छोड़ सभी को,
सबसे पहले हम सुधरें॥
ऐसा काम करें दुनिया में,
जिससे याद करे जन-जन।
करें नहीं कोई काम गलत,
अपना स्वयं सुधारक बन…॥

परिचय-पेशे से अर्द्ध सरकारी महाविद्यालय में प्राचार्य (बांदीकुई,दौसा) डॉ.एन.के. सेठी का बांदीकुई में ही स्थाई निवास है। १९७३ में १५ जुलाई को बड़ियाल कलां,जिला दौसा (राजस्थान) में जन्मे नवल सेठी की शैक्षिक योग्यता एम.ए.(संस्कृत,हिंदी),एम.फिल.,पीएच-डी.,साहित्याचार्य, शिक्षा शास्त्री और बीजेएमसी है। शोध निदेशक डॉ.सेठी लगभग ५० राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में विभिन्न विषयों पर शोध-पत्र वाचन कर चुके हैं,तो कई शोध पत्रों का अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशन हुआ है। पाठ्यक्रमों पर आधारित लगभग १५ से अधिक पुस्तक प्रकाशित हैं। आपकी कविताएं विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। हिंदी और संस्कृत भाषा का ज्ञान रखने वाले राजस्थानवासी डॉ. सेठी सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत कई सामाजिक संगठनों से जुड़ाव रखे हुए हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत तथा आलेख है। आपकी विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में शोध-पत्र का वाचन है। लेखनी का उद्देश्य-स्वान्तः सुखाय है। मुंशी प्रेमचंद इनके पसंदीदा हिन्दी लेखक हैं तो प्रेरणा पुंज-स्वामी विवेकानंद जी हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-
‘गर्व हमें है अपने ऊपर,
हम हिन्द के वासी हैं।
जाति धर्म चाहे कोई हो,
हम सब हिंदी भाषी हैं॥’

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