पिताजी की साईकल एक

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* मेरे पिता जी की साईकल स्पर्धा विशेष….. साईकल सुंदर एक,पिताजी नित्य चलाते।चढ़कर उस पर ही रोज,काम करने है जाते॥ छोटी-सी उनकी चाह,हमें खुश रखना हर पल,जिम्मेदारी…

Comments Off on पिताजी की साईकल एक

नवप्रभात आएगा

डॉ. गायत्री शर्मा’प्रीत’कोरबा(छत्तीसगढ़)******************************************* निशी के बंधन को तोड़ नवप्रभात आयेगा।सूर्य की लालिमा से अब यह निखर जायेगा॥ पेड़ों पर कुछ नई अब कोपलें खिल जायेंगीं,कलियां फूल बनकर एक नया गीत…

Comments Off on नवप्रभात आएगा

विश्वास है गर ख़ुद पर,अड़े रहो

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ************************************** विश्वास है गर ख़ुद पर,अड़े रहो।हर बुराई,मुश्किल से भिड़े रहो॥ ज़िन्दगी दर्द की कहानी है,हर ओर पीर की बयानी हैपर है भीतर आपके जज़्बा,तो हर…

Comments Off on विश्वास है गर ख़ुद पर,अड़े रहो

कंटक पथ में मानुष बनता

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* कंटक पथ में मानुष बनता,कैसे मैं बढ़ पाऊँगी।पंख कतर कर रखते बोलो,कैसे मैं मुस्काऊँगी॥ निर्मल मन से स्वप्न सँजोए,इस धरती पर आती हूँ,सीमाओं का बंधन मन…

Comments Off on कंटक पथ में मानुष बनता

सद्गुरु ही परमब्रह्म

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ************************************************ रचना शिल्प:गगनांगना छंद पर आधारित श्री सद्गुरु ही परमब्रह्म है,गुरु भगवान है।गुरु की कृपादृष्टि से मिलता,जग सम्मान है॥ बिन गुरु के सद्ज्ञान न मिलता,जग पहचान है।श्रीगुरु…

Comments Off on सद्गुरु ही परमब्रह्म

कोरोना का दंश…

नरेंद्र श्रीवास्तवगाडरवारा( मध्यप्रदेश)**************************************** कोरोना का दंश गजब का,काँप रहा है जग सारा।सुबह-शाम तक सूरज सिर पे,फिर भी लगता अँधियारा॥ हर पल काँटे से चुभते हैं,आँखों से आँसू झरते।सिसक-सिसक कर साँसें…

Comments Off on कोरोना का दंश…

सेवा में सद्भाव समाहित

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ********************************** सेवा में सद्भाव समाहित,कर्मों का सम्मान है।सेवा से जीवन की शोभा,मिलता नित यशगान है॥ दीन-दुखी के अश्रु पोंछकर,जो देता है सम्बलपेट है भूखा,तो दे रोटी,दे…

Comments Off on सेवा में सद्भाव समाहित

मानव हूँ

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* मैं मानव हूँ स्वार्थ धरें नित,करता काम।कभी न सोचूँ अहित काज का,निज अंजाम॥ लोभ मोह में फँसता जाता,मैं अज्ञान,दीन-दुखी को बहुत सताया,बन अनजान।पीछे मुड़कर पीर न…

Comments Off on मानव हूँ

अधर धरो घनश्याम…

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड)********************************** बनाके बंशी अधर धरो घनश्याम।घनश्याम…घनश्याम…बनाके बंशी अधर धरो घनश्याम॥ जब फेरोगे कोमल कर तुम,सुर दूँगी अविराम…अधर धरो घनश्याम।बनाके बंशी अधर धरो घनश्याम…॥ देखूँगी मोहक सूरत को,मोहन आठूँ…

Comments Off on अधर धरो घनश्याम…

कुलबुलाहट

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) *************************************** कोरोना ने उजाड़ दिया है चमन।क्या से क्या हो गया है मेरा वतन॥ रिश्ते सारे बिखर गए,अपने दूर हुए,मेल-मिलाप ख़त्म हुआ,सब मजबूर हुए।ऐसा चलेगा कब…

Comments Off on कुलबुलाहट