नई मंजिलें

जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)********************************* नयी मंजिलें हैं नये काफिले हैं।सभी दूर राहों में उलझे मिले हैं॥ यही है वो बस्ती जहां से चले थे,वहीं एक घर में सभी हम पले…

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माता,भर दो नव विश्वास

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* करूँ वंदना शारद माँ की,करती हूँ यह आस।नेक सृजन का पथ हो माता,भर दो नव विश्वास॥ जनहित का उद्धार करे हम,सृजन गढ़े अनमोल।शब्द शब्द में सार…

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ये भारत प्राण हमारा है

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** रचना शिल्प:मात्रा १६+१४=३० जन्म भूमि ये कर्मभूमि ये भारत प्राण हमारा है,जिस मिट्टी में बचपन खेला उस पर तन-मन वारा है।जिस आँचल की छाँव के तले…

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माँ…

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड)********************************** माँ मुझे तू निज चरण की धूल दे दे।नेह का माँ तू सुवासित फूल दे दे॥माँ मुझे तू निज… लेखनी को नित नवल तू गान देना,मैं मनुज…

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प्रियतम आओ…

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड)********************************** रचना शिल्प:मात्रा १६-१४.......... प्रिय परदेश छोड़ घर आओ,अब बसंत आने को है।सुमनों से मिलकर मधुकर अब,प्रणय गीत गाने को है॥ बहुत सही मैं विरह वेदना ,जागी कई…

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सँभल जाओ अभागो

जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)********************************* केतु के सम्मान का तो ध्यान रखो।देश की खातिर सँभल जाओ अभागोंll आचरण इतना अपावन मत दिखाओ,आवरण माँ भारती का मत हटाओ।हो सके तो आदमी बनकर…

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लोभ मोह के भँवर

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* अनाचार के बुरे कृत्य को,मूक देख चुपचाप खड़ा।श्रेष्ठ कर्म के पथ को भूला,मनुज द्वेष में आज पड़ा।स्वार्थ भाव को हृदय बसाता,सबके मन वो खटक रहा।लोभ मोह…

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समय लगेगा…

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड)********************************** श्रमसीकर से सींच कर्म की खेती करना,गूढ़ अटल विश्वास भी भरकर रखना मन में।कभी निपात मिले तो न साहस खोना राही,समय लगेगा आयेंगे मधुर फल जीवन मेंll…

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अपमान नहीं होने देंगे

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ हम भारत माँ के झंडे का,अपमान नहीं होने देंगे।उन कृषक वेश गद्दारों कासम्मान नहीं होने देंगे॥ यों धोखेबाज छली कपटी,हो सकता नहीं अन्नदाताऔरों को जीवन देने को,जो खुद…

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अपने तक सीमित हैं सारे

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************************* दिल छोटे,पर मक़ां हैं बड़े,सारे भाई न्यारे।अपने तक सीमित हैं सारे,नहीं परस्पर प्यारे॥ दद्दा-अम्मां हो गये बोझा,कौन रखे अब उनको।टूटे छप्पर रात गुज़ारें,परछी में हैं…

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