पद-प्रभाव का दुरूपयोग विचारणीय

डॉ.अरविन्द जैनभोपाल(मध्यप्रदेश)***************************************************** प्रजातंत्र में चुने हुए प्रतिनिधियों को विधायिका मानते हैं,उनके अधीनस्थ कार्यपालिका निश्चित रूप से उनकी सहायता करने,उनकी मंशाओं को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध होती या रहती है।…

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भारत:सच्चा लोकतंत्र लाने में देर नहीं

डॉ.वेदप्रताप वैदिकगुड़गांव (दिल्ली) ******************************* दुनिया के किन-किन देशों में कैसा-कैसा लोकतंत्र है,इसका सर्वेक्षण हर साल ब्लूमबर्ग नामक संस्था करती है। इस साल का उसका आकलन है कि दुनिया के १६७ देशों…

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मातृभाषा हिन्दी के लिए संघर्ष की महती आवश्यकता

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस विशेष…. जब बात मातृभाषा की होती है तो माँ एवं मातृभूमि की बात होनी ही है,क्योंकि माँ से ही सबका कहीं न कहीं जुड़ाव…

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मातृभाषा की महिमा

डॉ. एम.एल. गुप्ता ‘आदित्य’मुम्बई(महाराष्ट्र)********************************************** अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस विशेष…. आज के दौर में विकास शब्द ऐसा है जिसकी चर्चा सबसे अधिक होती है। इसलिए मैं मातृभाषा और विकास के संबध पर…

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हिजाब,नकाब और बुर्का लादना उनकी हैसियत को नीचे गिराना

डॉ.वेदप्रताप वैदिकगुड़गांव (दिल्ली) ******************************* कर्नाटक के उच्च न्यायालय में हिजाब के मुद्दे पर अभी बहस जारी है लेकिन अंतरराष्ट्रीय इस्लामी सहयोग संगठन ने भारत के खिलाफ अपना बयान जारी कर दिया…

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सच्ची शुरुआत:शपथ का पालन जरुरी

डॉ.अरविन्द जैनभोपाल(मध्यप्रदेश)***************************************************** समाचार-पत्र में पढ़ने को मिला कि राष्ट्रीय चिकित्सा परिषद् द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि अगले सत्र से चिकित्सा छात्रों को चरक शपथ लेना होगी। यह अत्यंत…

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‘बजाज’ ने पहचानी थी वक्त की रफ्‍तार

अजय बोकिलभोपाल(मध्यप्रदेश)  ****************************************** जाने-माने उद्योगपति राहुल बजाज के निधन पर उनके व्यक्तित्व की कई खूबियों और सत्ता से उनकी करीबी के अनेक प्रसंग दोहराए जा रहे हैं। अस्सी और नब्बे…

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व्यवहारिक हिंदी का प्रयोग १६० देशों में

प्रो.महावीर सरन जैनबुलंद शहर(उत्तरप्रदेश)********************************************************* भाषा.... आपका ध्यान इस ओर आकर्षित करना चाहता हूँ कि भारतीय चिन्तन एवं पाश्चात्य चिंतन में मूलभूत अन्तर है। भारतीय चिन्तन अभेदात्मक, समन्वयात्मक,सहयोगात्मक और पदार्थ,प्राण,मन, विज्ञान…

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स्वर-माधुर्य की साम्राज्ञी का मौन होना

ललित गर्गदिल्ली ************************************** लता मंगेशकर देह से विदेह हो गई है। गायन के क्षेत्र में अब वे एक याद बन चुकी हैं। उनका निधन स्वरों की दुनिया में एक गहन…

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धार्मिक और स्वास्थ्य के लिए बहुउपयोगी है पलाश

डॉ.अरविन्द जैनभोपाल(मध्यप्रदेश)***************************************************** 'पलाश' के फूल को टेसू का फूल भी कहा जाता है। यह वसंत ऋतु में खिलता है और ३ रंगों का होता है-सफेद,पीला और लाल-नांरगी। आयुर्वेद में पलाश…

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