बरखा रानी आई है

महेन्द्र देवांगन ‘माटी’पंडरिया (कवर्धा )छत्तीसगढ़ ************************************************** गड़-गड़ गरजे आसमान से,घोर घटा भी छाई है।छम-छम करती हँसती-गाती,बरखा रानी आई हैllझूम उठी है धरती सारी,पौधे सब मुस्काये हैं।चहक उठी है चिड़िया रानी,भौंरा गाना गाये हैंllठूँठ पड़े पेड़ों में भी तो,हरियाली अब छाई है।छम-छम करती हँसती-गाती,बरखा रानी आई हैll लगे छलकने ताल-तलैया,पोखर सब भर आये हैं।कल-कल करती नदियाँ बहती,झरने … Read more

उठो देश के वीर जवानों

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************************************** भारत और चीन के रिश्ते स्पर्धा विशेष…… उठो देश के वीर जवानोंड्रेगन का संहार करो।धोखेबाजी करता है जोवैसा ही व्यवहार करो॥ बहुत सह लिया अब तक हमनेअब उसका प्रतिकार करो।बनो आत्मनिर्भर स्वयं अबचीन का बहिष्कार करो॥ हिंदी-चीनी भाई-भाईयह नारा तो धोखा है।कायरता की हदें लांघ दीछुरा पीठ में घोंपा है॥ बहुत … Read more

अनुशासन का पालन कर लो

आशा आजादकोरबा (छत्तीसगढ़) ********************************************************************** कोरोना है बड़ी बीमारी,कहते हैं कोविड उन्नीस।खूब वायरस फैल रहा है,देशवासियों को है टीसll चीन देश की ये बीमारी,देश-देश में फैली आज।हुआ लाकडाउन है देखो,बंद पड़े हैं सबके काजll छोटे-छोटे बच्चे जाने,कोरोना यह है अभिशाप।घर के भीतर सबजन रहते,छोड़े हैं सब मेल-मिलापll भारत के मानुष सब ज्ञानी,मिलकर देते हैं सब साथ।ईश्वर … Read more

कुछ तो करें तैयारी

अख्तर अली शाह `अनन्त`नीमच (मध्यप्रदेश) **************************************************************** जिंदगी भी जंग है ये,वक्त भी नहीं है पास,जीतने को जंग आगे,बढ़ने को साथियों।राह वो निकालें हमें,पहुंचाए मंजिलों पे,मुकुट में रत्न कोई जड़ने को साथियों॥जहां ‘लाकडाउन’ में,बंद सभी दरवाजे,कुछ तो करें तैयारी,लड़ने को साथियों।डिजिटल शिक्षा वहां उपयोगी मानियेगा,मुमकिन जाना नहीं पढ़ने को साथियों॥

मेरे प्रियवर

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)******************************************************************** (रचना शिल्प:१६/१४) नेह नयन की आशाओं में,प्रिय तुमको ही पाती हूँ।लहराकर आँचल को अपने,गीत खुशी के गाती हूँll हर पल साँसों रहे समाए,नींद चुराई रातों की।चैन उड़ाकर दी सौगातें,मीठी-मीठी बातों कीllआशाओं के इस आँगन में,झूम-झूम इठलाती हूँ।लहराकर आँचल को…। प्यार मिला अरमान खिलें हैं,सपनों की इन राहों में।मिले उम्रभर मुझे … Read more

महान ग्रंथ

सुकमोती चौहान ‘रुचि’महासमुन्द (छत्तीसगढ़)*********************************************************************** दो महान है ग्रंथ,महाभारत-रामायण।जिसकी कथा महान,प्रतिष्ठित मान परायण।पुरुषोत्तम थे एक,सूर्यवंशी श्री राघव।लीलाधर थे एक,श्याम नटखट श्री माधव।इससे तो रसमय है नहीं,जग में कोई भी कथा।समा गई इस संसार की,इनमें ही सारी व्यथा। परिचय–श्रीमती सुकमोती चौहान का साहित्यिक नाम ‘रुचि’ है। जन्मतारीख-५ नवम्बर १९८२ एवं जन्म स्थान-भौरादादर है। वर्तमान में आपका बसेरा … Read more

स्फूर्ति धार अंग-अंग में

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************************************** योग को बनाय अंग होय रोग शोक दूरजिंदगी बने सुखी शरीर भी सुडौल हो।शक्ति जीवआत्म को मिले बढ़े सुभक्तिभावचित्त शांत आत्म औऱ ईश का सुमेल हो॥ ब्रह्म और जीव का समस्त द्वैध दूर होयसिर्फ एक भाव चित्त वृत्ति का निरोध हो।स्वस्थ होय सर्व गात जीव हो तनाव मुक्तयोग से बढ़े उमंग … Read more

मेहनत

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************************************* व्यर्थ न बैठो काम करो तुममेहनत से न भागो।आलस छोड़ो करो परिश्रमसभी नींद से जागो॥ कर्म करो परिणाम न देखोअपना भाग्य बनाओ।मेहनत से आगे बढ़ो तुमजीवन सफल बनाओ॥ आए हम सब इस दुनिया मेंकर्म सभी करने को।मेहनत करें सब मिलकर हमजग नहीं विचरने को॥ खुश होते भगवान सदा हीहिम्मत सदा दिखाओ।करो … Read more

वसुंधरा

आशा आजादकोरबा (छत्तीसगढ़) ********************************************************************** वंसुधरा पर सुंदर जीवन,हो अपना आधार।भूले से भी कभी न बिगड़े,धरती का श्रृंगारll छिपा हुआ भूगर्भ सहत पर,भूजल का भंडार।शुद्ध रुप में बहे निरंतर,इससे ही संसार।व्यर्थ कभी मत इसे गँवाना,अमृत नीर उपहार।वंसुधरा पर सुंदर जीवन,हो अपना आधारll खनिज संपदा बहुत धरा पर,वंसुधरा की शान।मानव जीवन पर लोहा का,बहुत बड़ा है स्थान।जितना … Read more

माँ का आँचल

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ********************************************************************** माँ जगत कल्याणकर्त्री,हे धरा,करुणामयी।प्रेममय आँचल तुम्हारा,तुम दया ममतामयी।हो जगत जननी चराचर,विश्व आँचल में लिये।सृष्टि के आरंभ में सह,ताप वायु व जल दियेll महापरिवर्तन धरा पर,ज्वालामय अंगार था।न थी सृष्टि न कोई प्राणी,न कोई आकार था।बस शून्य में विचरता,महाकाल विराट था।इसी धरती के ही आँचल,ने खिलाया फूल थाll महाकाश के बीच में,मार्तण्ड … Read more