वैसाखी नवरात्र दे

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ********************************** आज चैत्र नवरात्र शुभ,विक्रम संवत हर्ष।वैसाखी पावन दिवस,हिन्दू नूतन वर्ष॥ नवल फ़सल हरितिम धरा,मुदित आज परिवेश।दीन धनी सब हैं सुखी,समरसता संदेश॥ निशि वासर मिहनतकशी,मानक…

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सनातनी नववर्ष

शिवेन्द्र मिश्र ‘शिव’लखीमपुर खीरी(उप्र)***************************************** नव वर्ष विशेष........ फैली भीषण आपदा,जग में हाहाकार।नव संवत्सर का करूँ शिव कैसे सत्कार॥ नई कोपलें शाख पर,लगे आम में बोर।नव संवत्सर की हुई,सुखद सुहानी भोर॥…

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जल जीवन आधार

बृंदावन राय 'सरल'सागर(मध्यप्रदेश)***************************************** ज से जल जीवन स्पर्धा विशेष… जल बिन जीवन कुछ नहीं,जल जीवन आधार।जल से ही संसार का,होता है संचार। साफ स्वच्छ सरिता नहीं,सकल सृष्टि में आज।निर्मित करते…

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जल ही जीवन है जगत्

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ****************************** ज से जल जीवन स्पर्धा विशेष… जल से जीवन है जगत,जीवन है आधार।चलो बचाएँ आज मिल,कुदरत इस उपहार॥ जल जीवन का संचरण,ईश्वर का वरदान।रखें…

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जल बिन धरती सून

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)**************************************** ज से जल जीवन स्पर्धा विशेष… आजा बादल आज तू,जल बिन धरती सून।तुझे पुकारे ये जहाँ,पादप वृक्ष प्रसून॥ देखो हाहाकार है,तड़प रहे हैं लोग।मानसून अब…

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स्वागत हो चैत्र नवरात्र का

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ***************************************** चैत्र शुक्ल है प्रतिपदा,सनातनी नववर्ष।पूजन कर नवरात्र में,कीर्ति मिले सुख हर्ष॥ अभिनन्दन स्वागत करें,मिलें हिन्दू समाज।परिधावी संवत्सरी,विक्रमी संवत आज॥ नीति प्रीति सुख संपदा,परहित शान्ति…

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मन बन जा तू पारखी

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड)********************************** नयन किसन के तक रहे,राधा को अविराम।माधव राधा हो रहे,राधा श्यामल श्याम॥ रघुकुल की महिमा बड़ी,सत ही सत चहुंओर।एक घाट पानी पियें,केहरि,मानुष,ढोर॥ गौरवशाली है रहा,भारत का इतिहास।सूली…

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फागुन की अठखेलियाँ

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ************************************** रंगों के सँग खेलती,एक नवल-सी आस।मन में पलने लग गया,फिर नेहिल विश्वास॥ लगे गुलाबी ठंड पर,आतपमय जज़्बात।प्रिये-मिलन के काल में,यादें सारी रात॥ कुंजन,क्यारिन खेलता,मोहक रूप…

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फीका-फीका फाग

डॉ.सत्यवान सौरभहिसार (हरियाणा)************************************ बदले-बदले रंग है,फीका-फीका फाग।ढपली भी गाने लगी,अब तो बदले राग॥ फागुन बैठा देखता,खाली हैं चौपाल।उतरे-उतरे रंग है,फीके सभी गुलाल॥ बढ़ती जाए कालिमा,मन-मन में हर साल।रंगों से कैसे…

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फागुन लाया प्यार की सौगात

शिवेन्द्र मिश्र ‘शिव’लखीमपुर खीरी(उप्र)***************************************** फागुन संग-जीवन रंग (होली) स्पर्धा विशेष… आधुनिकता में मस्त हैं,सब नर-नारी संत।अन्तर्मन पतझड़ हुआ,दिखला रहे बसंत॥ देखो कैसी हो गयी,लोकतंत्र की रीति।सिर्फ चुनावी रंग में,करते 'शिव'…

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