माँ सबकी रक्षा करो

डॉ. गायत्री शर्मा’प्रीत’कोरबा(छत्तीसगढ़)******************************************* आई संकट की घड़ी,कर संकट से पार।जग कल्याणी माँ करूँ,विनती बारंबार॥ ज्योत जले जगमग सदा,माँ तेरे दरबार।हे माता जगदंबिके,गुण गाए संसार॥ सुमिरन तेरा मैं करुं,कर पूजा दिन रात।‘कोरोना’ अब नाश हो,अंबे मेरी मात॥ विनती तेरी हम करें,दे दें माँ आशीष।दूर हटे विपदा सभी,झुका रहे ये शीश॥ राक्षस का संहार कर,है कोरोना नाम।देवी … Read more

नवदुर्गा रूप

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) *************************************************** प्रथम रूप माँ शक्ति का,शैलपुत्रि है नाम।हेमसुता माँ अम्ब है,रूप बड़ा अभिराम॥ हे मात ब्रह्मचारिणी,संकट से कर पार।रूप दूसरा शक्ति का,कर सबका उद्धार॥ न्यारा ही ये रूप है,चंद्रघंट है नाम।रूप तीसरा मात का,लोकोत्तर अभिराम॥ आदिशक्ति प्रभायुक्ता,चौथा दुर्गा रूप।माँ कूष्मांडा नाम है,इनकी शक्ति अनूप॥ मात भवानी शैलजा,पंचम माँ का रूप।कार्तिकेय की मात … Read more

इठलाते लखि वेदना

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ****************************************************** इठलाते लखि वेदना,खल सम्वेदनहीन।झूठ लूट धोखाधड़ी,धनी विहँसते दीन॥ लावारिस क्षुधार्त मन,देख फैलते हाथ।आश हृदय कुछ मिल सके,कोई बने तो नाथ॥ आज मरी लखि वेदना,दीन दलित अवसाद।दया धर्म करुणा कहाँ,ख़ुद होते आबाद॥ मरी सभी इन्सानियत,मरा सभी ईमान।हेर-फेर कर लाश में,नहीं कोई पहचान॥ देह वसन आवास बिन,रैन बसेरा रात।बंज़ारन की जिंदगी,शीत … Read more

नहीं सृष्टि का मान

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ************************************************** नदिया घट-घट में फिरे।सागर तट तक जाय॥प्यास बुझाए जीव की।जो भी लेता जाय॥ व्याकुल सागर हो गया।लहरें रहा उछाल॥नदियां बेचारी सभी।सूख रहीं बेहाल॥ प्राणी सब बेहाल हैं।दूषित है जलवायु॥जीना दूभर हो गया।चैन बिना हर आयु॥ बचपन बूढ़ा हो गया।बूढ़े हैं बेजान॥जीवन की साँसें घटी।नहीं सृष्टि का मान॥ मिटते जाते … Read more

आराधना

शिवेन्द्र मिश्र ‘शिव’लखीमपुर खीरी(उप्र)*********************************************** शारदीय नवरात्रि का,अति पावन त्यौहार।आदि भवानी का करो, ‘शिव’ पूजन सत्कार॥ *शैलपुत्री-शैलसुता के रूप में,प्रथम शक्ति अवतार।वृषभवाहिनी ‘शिव’ तुम्हें,नमन करे शत बार॥ शैलसुता माँ का करो,निश्छल मन से ध्यान।माँ प्रसन्न होकर तुम्हें,देगी ‘शिव’ वरदान॥ *ब्रह्मचारिणी-ब्रह्मचारिणी शक्ति का,दूजा दिव्य स्वरूप।जग जननी दुख दूर कर, धर कर रूप अनूप॥ दाएं कर माला लिए,और … Read more

लगाओ गले

डॉ. रामबली मिश्र ‘हरिहरपुरी’ वाराणसी(उत्तरप्रदेश)****************************************** मिले लगाओ जो गले,चलते रहना वीर।जाना अपने लक्ष्य तक,रुक मत जाना धीर॥ मिलें राह में हमसफर,और चलें यदि संग।पहनाओ माला उन्हें,भरकर जोश-उमंग॥ साथ छोड़ना मत कभी,यदि वे चाहत साथ।साथ निभाने का नियम,रहे हाथ में हाथ॥ सजा चलेगा कारवां,सदा रहेगा साथ।रक्षा का संकल्प ले,बन जा दीनानाथ॥ रामचन्द्र की मंडली,को करना तैयार।साथी-संगी-मित्र … Read more

कोरोना-रिश्तों का अहसास

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ***************************************************************** इस कोरोना काल में,सभी हुए पाबंद।दुनिया भी रुक सी गई,चाल हो गई मंदll सन्नाटा पसरा हुआ,लोग हुए बेकार।कुछ न किसी को सूझता,क्या अब करें विचारll कोरोना से हो गया,रिश्तों का अहसास।सभी हो गए आम अब,रहा न कोई खासll अहंकार जो था कभी,अब है कोसों दूर।मानव भी अब हो गया,कुदरत से मजबूरll … Read more

बाँधे मन ही जीव को

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ************************************************ (रचना शिल्प-अष्टावक्र गीता के श्लोकों का हिंदी अनुवाद) बंधन कारण यह सभी,काम,शोक,मितत्याग।कभी ग्रह्ण व प्रसन्नता,या मन क्रोधी आगll ठीक उलट है मुक्तिपथ,काम शोक नहीं त्याग।नहीं ग्रहण न प्रसन्नता,नहीं क्रोध की आगll बंधन मन आसक्ति है,मुक्ति कामनाहीन।बाँधे मन ही जीव को,वही मुक्त भी कीनll मैं-मेरा का भाव ही,जब तक,बाँधे जीव।नहीं त्याग नहिँ … Read more

बेटी-कुदरत का वरदान

बुद्धिप्रकाश महावर मनमलारना (राजस्थान) **************************************************** दाता तो भगवान है,गुरु है बड़ा महान।मात-पिता सबसे बड़े,पूजे सकल जहान॥ बेटा सूरज तेज सम,बेटी शीतल छाँव।बेटी है अनमोल धन,जिस घर बेटी पाँव। बेटी से दुनिया बने,बिन बेटी सब सून।माँ दादी नानी बहन,देती बड़ा सुकून॥ पढ़ा-लिखा और मान दो,फिर हो कन्या दान।दोनों कुल का नाम हो,आन-बान अर शान। ब्रह्मा विष्णु … Read more

जनमत समझो मंत्र

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************ जनता से सत्ता बनी,जनता से गणतन्त्र।जनता दे सत्तावनत,जनमत समझो मंत्र॥ करो प्रगति जनता सदा,चिन्तन जन कल्याण।निर्भय सम्बल जब प्रजा,हो सत्ता का त्राण॥ लोकतन्त्र होता सफल,हो समता अधिकार।संविधान सम्मत चले,नीति प्रीति आधार॥ अभिव्यक्ति स्वाधीनता,करे न देश विरोध।सबसे ऊपर देश हित,बने नहीं अवरोध॥ सृजन कुंज भारत बने,कुसमित गंध निकुंज।जन विकास केवल … Read more