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माप तौल कर बोल

डॉ. रामबली मिश्र ‘हरिहरपुरी’
वाराणसी(उत्तरप्रदेश)
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(रचना शिल्प:मात्रा भार ११/१६)

माप तौल कर बोल।
सोच समझकर बोला करना॥

बोलो नहीं कुबोल।
मृदु भाषी बन चलते रहना॥

बोली हो अनमोल।
ठोक बजाकर बातें कहना॥

नहीं बजाओ ढोल।
गोपनीयता कायम रखना॥

नहीं खोलना पोल।
हर मानव की इज्जत करना॥

मत हो जाना गोल।
साथ निभाते चलते रहना॥

बनना सीखो घोल।
सीखो घुलमिलकर के रहना॥

कभी न मारो झोल।
एक सूत में बंध कर चलना॥

धीरे-धीरे बोल।
प्रेम की बातें करते रहना॥

मत कर टाल-मटोल।
सच्चाई पर डटकर रहना॥

दिल-दरवाजा खोल।
सबको नित सम्मानित करना॥

मन की गाँठें खोल।
सबके दिल में सहज उतरना॥

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