भाषण बनाम सांत्वना

शशि दीपक कपूरमुंबई (महाराष्ट्र)************************************* भाषण की अपनी एक व्यवस्थित रूपरेखा है, जिससे विचलित होने पर श्रोताओं और पाठकों को भी विचलित कर देती है। भाषण की विषयवस्तु को समाज,राजनीति,अर्थव्यवस्था,दर्शन,धर्म वगैरह-वगैरह किसी भी क्षेत्र से ग्रहण किया जा सकता है। मूल तथ्य यह कि भाषण को भूतकाल से समेट वर्तमान की चाशनी में भविष्य की झलक … Read more

कांग्रेस संगठन को ‘च्यवनप्राश’ बनाए नेतृत्व…आगे बड़ी चुनौती

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** आखिरकार इस बार भी सबसे पुराने दल कांग्रेस का दामन और फट ही गया। ५ राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणामों ने कांग्रेस को फिर केवल बड़बोला और संगठन स्तर पर शून्य साबित कर दिया है। जीत-हार के इस जश्न में यह बड़ा संदेश है कि,संगठन में समय अनुरूप बदलाव कीजिए,हालात समझिए,मोह और … Read more

चुनाव:जिताऊ और जन मुद्दों में इतना अंतर क्यों ?

अजय बोकिलभोपाल(मध्यप्रदेश)  ****************************************** उत्तर प्रदेश सहित ५ राज्यों के विधानसभा चुनाव नतीजों ने इस सवाल को फिर रेखांकित किया है कि चुनाव जिताने वाले मुद्दे और अमूमन जनता के समझे जाने वाले मुद्दों में इतनी तफावत क्यों है ? बुद्धिजीवी जिन्हें असल मुद्दे मानकर जो महल खड़ा करते हैं,आम आदमी उससे वैसा इत्तफाक क्यों नहीं … Read more

आतंक का जवाब आतंक नहीं

डॉ.वेदप्रताप वैदिकगुड़गांव (दिल्ली) ******************************* २००८ में अहमदाबाद में हुए आतंकी हमले के अपराधियों को विशेष अदालत ने जो सजा सुनाई है, वह स्वतंत्र भारत की सबसे बड़ी सजा है। इसमें ३८ अपराधियों को मृत्युदंड, ११ को उम्रकैद और ४८ पर २.८५ लाख का जुर्माना लगाया गया है। इसके पहले राजीव गांधी हत्याकांड में २६ लोगों को … Read more

पंजाब:केजरीवाल ने पैर क्यों खींचे ?

राकेश सैनजालंधर(पंजाब)********************************** सांसद भगवंत मान को पंजाब में आम आदमी पार्टी का मुख्यमन्त्री का चेहरा घोषित किए जाने के बाद राजनीतिक गलियारों में प्रश्न पूछा जा रहा है कि पार्टी के सर्वेसर्वा दिल्ली के मुख्यमन्त्री अरविन्द केजरीवाल ने इस राज्य में अपने पैर पीछे क्यों खींच लिए ? पिछले ३-४ महीनों से पंजाब की दीवारें … Read more

अंकीय चुनाव:अच्छाई पर सहमति बने

ललित गर्गदिल्ली ************************************** आखिरकार चुनाव आयोग ने ५ राज्यों-उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड,गोवा,पंजाब व मणिपुर के विधानसभा चुनावों की तारीख कोरोना की तीसरी लहर के बढ़ते संक्रमण के बावजूद घोषित कर साहस का परिचय दिया। आयोग ने इससे मुकाबला करने के उपायों को लागू करने की घोषणा भी की है और चुनावों को अधिकाधिक पारदर्शी,लोकतांत्रिक व आदर्श … Read more

भाजपा को पुनर्विचार की जरूरत

अमल श्रीवास्तव बिलासपुर(छत्तीसगढ़) *********************************** एक लंबे अंतराल के बाद २०१४ और २०१९ में केंद्र में पूर्ण बहुमत से भाजपा की सरकार बनी, साथ ही कई राज्यों में भी जीत हासिल हुई। पिछले ७ वर्ष में भाजपा ने कुछ अच्छे काम भी किए, जिसमें धारा ३७०,राम मंदिर,तीन तलाक,सीएए प्रमुख हैं,परंतु एस सी-एससी अधिनियम में उच्चतम न्यायालय के … Read more

आरक्षण याने राजनीति का दीवाला

डॉ.वेदप्रताप वैदिकगुड़गांव (दिल्ली) ******************************* सर्वोच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार की उस याचिका को रद्द कर दिया है, जिसमें यह मांग की गई थी कि केंद्र सरकार उसे पिछड़ी जातियों के आँकड़े उपलब्ध कराए ताकि वह अपने स्थानीय चुनावों में महाराष्ट्र के पिछड़ों को २७ प्रतिशत आरक्षण दे सके। केंद्र सरकार ने २०११ में जो व्यापक जन-गणना … Read more

‘महाविजय’ को तो ‘राजनीतिक कृपणता’ से परे रखें…

अजय बोकिलभोपाल(मध्यप्रदेश)  ****************************************** अफसोस कि भारतीय सेना और तत्कालीन राजनीतिक नेतृत्व की एक पारंपरिक युद्ध में निर्णायक जीत और दक्षिण एशिया में एक नए देश को जन्म देने की महान घटना की स्वर्ण जयंती भी राजनीतिक कृपणता का शिकार हो गई। यह विजय जिस महान जनरल और युद्ध रणनीतिकार एच.एफ. मानेकशा और राॅ चीफ परमेश्वरी … Read more

कांग्रेस पर सत्ता और प्रतिपक्ष की ‘गिद्ध दृष्टि’…!

अजय बोकिलभोपाल(मध्यप्रदेश)  ****************************************** भारतीय राजनीति का यह दिलचस्प मोड़ है,क्योंकि, जहां एकतरफ भाजपा (एनडीए) कांग्रेस के खत्म होते जाने में अपने लिए सत्ता का स्थायी स्थान देख रही है,वहीं ममता बनर्जी और उनके राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर कांग्रेस की सिकुड़न में विपक्ष का स्थान बूझ रही है। दोनों में एक समानता है और वो है … Read more