भारत की पहचान है हिंदी

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************* जान,मान एवं शान है हिंदी। भारत की पहचान है हिंदी। अन्य भाषाऐं भी अच्छी हैं, पर उत्तम मिष्ठान है हिंदी। अति सरल व शुद्ध है चूँकि, संस्कृत की संतान है हिंदी। भारत और भारतीयता का, प्रमाण एवं वरदान है हिंदी। हिंदी,हिंदी और मात्र हिंदी। सम्पूर्ण राष्ट्रनिर्माण है … Read more

जो दूसरों को…

डाॅ. मधुकर राव लारोकर ‘मधुर’  नागपुर(महाराष्ट्र) ************************************************************************* जो दूसरों को,आँखें दिखाते हैं खुद अपने गिरेबां में,उनने झांका नहीं। तमाम सिलवटें,पड़ीं हैं दामन में, दूसरों को दिखतीं,उनने देखा नहीं। गलतियाँ दिखतीं,दूसरों की फ़कत, खुद कितने पाक-साफ हैं,उनने माना नहीं। नफरतें फैलाते और ज़हर उगलते ही, बीता जीवन,उनने जाना नहीं। अब क्यूँ गुमसुम-सी है इंसानियत किसने किया … Read more

रुकती ग़म की…

वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरी कुशीनगर(उत्तर प्रदेश) *************************************************************** रुकती ग़म की कभी न धारा है, इस नदी का नहीं किनारा है। धन की खातिर ज़मीर को बेचूँ, यह तो बिल्कुल नहीं गँवारा है। जिसके ग़म में निकल गए आँसू, तंज उसने ही आज मारा है। उससे रिश्ता नहीं रखे कोई, हर क़दम पर यहाँ जो हारा है। … Read more

रोशनी के हमसफ़र

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’ छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ********************************************************************  हम खजाना छोड़ दें,पर क्या ज़माना छोड़ दें, ज़ुल्म से डर कर कहो क्या हक़ जताना छोड़ दें। कोई हक़ मांगे ही क्यों जो फर्ज़ सब कर लें अदा, हक़ से मज़लूमों के हक़ पे हक़ जमाना छोड़ दें। इन चराग़ों से हसद की आग भड़केगी नहीं, … Read more

आँखें बता रहीं हैं…

वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरी कुशीनगर(उत्तर प्रदेश) *************************************************************** आँखें बता रहीं हैं कि इनकार है नहींl शायद लबों ने झूठ कहा प्यार है नहींl दिल हारने का भी सुनो अपना ही है मज़ा, दिल हारने का अर्थ कोई हार है नहींl जब भी पढ़ोगे मस्तियों में डूब जाओगे, ये है ग़ज़ल मेरी,कोई अखबार है नहींl मैंने ये … Read more

मोमबत्ती मशाल कर दो अब

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’ छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ********************************************************************  एक ऐसा कमाल कर दो अब, ख़त्म सारे सवाल कर दो अब।   वो जो इज्ज़त पे चोट करते हैं,  उनका जीना मुहाल कर दो अब।   खाल खिंचवा के जूतियाँ मारो, सीन्फ़ उनका ज़वाल कर दो अब।   गर न इंसाफ कर सके सरकार, अपने दम … Read more

मैं हवस का कौर क्यों..

राजेश पड़िहार प्रतापगढ़(राजस्थान) *********************************************************** हैदराबाद घटना-विशेष रचना………… क्या कहो अपराध मेरा,मैं हवस का कौर क्यों, चीखती सित्कारती मैं,सुन न पाते शोर क्यों ? जब मरी नवयौवना,उदगार उसने यह कहे, मानते देवी अगर तुम,फिर न बदला दौर क्यों। ले मशालें चल पड़े हैं,लोग सड़कों पर खड़े, मांगते इंसाफ लेकिन,हो रहा फिर और क्यों। पाप करते भी … Read more

चाहिए है समझना बराबर

प्रदीपमणि तिवारी ध्रुव भोपाली भोपाल(मध्यप्रदेश) **************************************************************************** (रचनाशिल्प:वज़्न-१२२-१२२-१२२-१२२-१२२-१२२-१२२-१२२-फऊलुन×८) बड़ी बात ये है कि फुटपाथ में जो उन्हें चाहिए है समझना बराबर। तक़ाजा यही हो न उनसे हिक़ारत लगाएं भी दिल से ज़मीं से उठाकर। जो मुमकिन नहीं वो करें हर्ज़ क्या है रिवायत पुरानी जो मर सी चुकी हैं, हटा दें उन्हें यूँ नहीं फायदा कुछ जो … Read more

मुहब्बत

पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’ बसखारो(झारखंड) *************************************************************************** (रचनाशिल्प:१२२ १२२ १२२ १२२)  मुहब्बत मुहब्बत मुहब्बत हमारी, सलामत रहे प्यार चाहत हमारी। नहीं ख़्वाब कोई नहीं चाह कोई, नहीं कोई तुझसे शिकायत हमारी। नहीं फूल गुलशन,नहीं चाँद-तारे, नहीं झूठ कहने की आदत हमारी। लिखेगा जमाना फ़साना हमारा, बनेगी कहानी ये उल्फ़त हमारी। प्रियम की मुहब्बत तुम्हारी जवानी, दिलों … Read more

आख़िर किस लिए

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’ छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ********************************************************************  हो गया नाकाम आख़िर किस लिए, अम्न का पैग़ाम आख़िर किस लिए। क्या यही है सच बयानी का सिला, उफ़! ये क़त्लेआम आख़िर किस लिए। ख़ौफ़ से तेरे न सच बोला कोई, फ़िर मचा कोहराम आख़िर किस लिए। दल बदल कर दल सभी दल-दल हुए, वोट दे … Read more