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मैं हवस का कौर क्यों..

राजेश पड़िहार
प्रतापगढ़(राजस्थान)
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हैदराबाद घटना-विशेष रचना…………
क्या कहो अपराध मेरा,मैं हवस का कौर क्यों,
चीखती सित्कारती मैं,सुन न पाते शोर क्यों ?

जब मरी नवयौवना,उदगार उसने यह कहे,
मानते देवी अगर तुम,फिर न बदला दौर क्यों।

ले मशालें चल पड़े हैं,लोग सड़कों पर खड़े,
मांगते इंसाफ लेकिन,हो रहा फिर और क्यों।

पाप करते भी न डरते,यौवना हो बालिका,
आज दिखता हर जगह यह,डर कहो घनघोर क्यों।

क्या कहो ‘राजेश’ लिखता,जानवर के कर्म को,
कंपकपाते हाथ की फिर उंगली का पोर क्यों ? ?

परिचय-राजेश कुमार पड़िहार की जन्म तारीख १२ मार्च १९८४ और जन्म स्थान-कुलथाना है। इनका बसेरा कुलथाना(जिला प्रतापगढ़), राजस्थान में है। कुलथाना वासी श्री पड़िहार ने स्नातक (कला वर्ग) की शिक्षा हासिल की है। कार्यक्षेत्र में स्वयं का व्यवसाय (केश कर्तनालय)है। लेखन विधा-छंद और ग़ज़ल है। एक काव्य संग्रह में रचना प्रकाशित हुई है। उपलब्धि के तौर पर स्वच्छ भारत अभियान में उल्लेखनीय योगदान हेतु जिला स्तर पर जिलाधीश द्वारा तीन बार पुरस्कृत किए जा चुके हैं। आपको शब्द साधना काव्य अलंकरण मिला है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी के प्रति प्रेम है।

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