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राहे वफा में हरषो काँटे

आर.पी. तिवारी स्वदेश
बांदा (उत्तर प्रदेश)
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राहे वफा में हरषो काँटे,
धूप जियादा साये कम।
लेकिन इस पर चलने वाले,
खुश ही रहे पछताए कमll
राहे वफा में हरषो काँटे…

धीमी-धीमी चाल से हमको,
राह गुजर तय करनी है।
नाज था जिनको तेज रंगी पर,
मंजिल तक वो आये कमll
राहे वफा में हरषो काँटे…

राह-रंगी का सबको दावा,
सबको गरूरे इश्क-वफा।
लेकिन साथ में चलने वाले,
हमने बहुत ही पाए कमll
राहे वफा में हरषो काँटे…

सिर्फ यही है एक तरीका,
दुनिया में खुश रहने का।
हाथ बढ़ाएं सबको लेकिन,
सामने दिल फैलाएं कमll
राहे वफा में हरषो काँटे…

संघर्षों पर कितने निकले,
कितने यहाँ पर गरज हुए।
कितने अपनी मौज में डूबे,
तूफां से टकराए कमll
राहे वफा में हरषो काँटे…

मुझसे शिकायत दुनियाभर को,
शिद्दते-गम मे रोने की।
लेकिन मुझको इसका रोना,
आँख में आँसू आए कमll
राहे-वफा में हरषो काँटे…

इश्क इबादत नाम है `राज`,
ये भी अदब में शामिल है।
जिसकी मोहब्बत दिल में बसी हो,
उसकी गली में जाएं कमll

राहे वफा में हरषो काँटे,
धूप जियादा साए कम।
लेकिन इस पर चलने वाले,
खुश ही रहे पछताए कमll
(इक दृष्टि यहां भी:हरषो=हमेशा,दूर-दूर तक)

परिचय-आर.पी. तिवारी का साहित्यिक उपनाम `स्वदेश` हैl ४ जून १९७३ को बांदा (उत्तर प्रदेश)में जन्में श्री तिवारी का वर्तमान बसेरा पटियाला कैम्प में है,जबकि स्थाई निवास बांदा स्थित जयोति नगर में हैl हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाले उत्तर प्रदेश निवासी स्वदेश की पूर्ण शिक्षा स्नातक हैl आपका कार्यक्षेत्र-भारतीय सेना में जे.सी.ओ. का हैl सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत निदेशक(मोटिवेशनअकादमी)हैंl लेखन विधा -गीत,ग़ज़ल तथा कविता हैl आपके गीतों का साझा संकलन जल्दी ही प्रकाशित होने जा रहा है। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में भारतीय सेना द्वारा आयोजित हिन्दी पखवाड़े में लगतार ३ वर्ष प्रथम पुरस्कार,कुंभ मेले में काव्य संध्या में महामंडलेश्वर द्वारा सम्मान प्रमुख हैं। श्री तिवारी की विशेष उपलब्धि
आकाशवाणी प्रयागराज से कुंभ वाणी विशेषांक(२०१९) और पुलवामा आतंकी हमले पर शौर्य गाथा विशेषांक(२०१९) में कविताएं प्रसारित होना है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-आत्म संतोष,मंच और प्रकाशन है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-श्रद्धेय बच्चन जी, अटल जी हैं तो प्रेरणापुंज-बच्चन जी एवं डॉ. कुमार विश्वास हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“
मैं तो इतना जानता हूँ कि,
हिन्दी है तो हिन्दुस्तान है…
हिन्दुस्तान है तो हिन्दी है,
और ये दोनों हैं तो देश है…
और तभी हम हैं। “

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