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आँखें बता रहीं हैं…

वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरी
कुशीनगर(उत्तर प्रदेश)

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आँखें बता रहीं हैं कि इनकार है नहींl
शायद लबों ने झूठ कहा प्यार है नहींl

दिल हारने का भी सुनो अपना ही है मज़ा,
दिल हारने का अर्थ कोई हार है नहींl

जब भी पढ़ोगे मस्तियों में डूब जाओगे,
ये है ग़ज़ल मेरी,कोई अखबार है नहींl

मैंने ये दिल दिया है यही सोचकर तुझे,
तुमने कहा था प्यार ये व्यापार है नहींl

जब भी गिरा लोगों ने बहुत हौंसला दिया,
कैसे कहूँ कि कोई मददगार है नहींl

तेरी हँसी ‘आकाश’ मेरे दिल की है दवा,
अब दिल दवाईयों का तलबगार है नहींll

परिचय-वकील कुशवाहा का साहित्यिक उपनाम आकाश महेशपुरी है। इनकी जन्म तारीख २० अप्रैल १९८० एवं जन्म स्थान ग्राम महेशपुर,कुशीनगर(उत्तर प्रदेश)है। वर्तमान में भी कुशीनगर में ही हैं,और स्थाई पता यही है। स्नातक तक शिक्षित श्री कुशवाहा क़ा कार्यक्षेत्र-शिक्षण(शिक्षक)है। आप सामाजिक गतिविधि में कवि सम्मेलन के माध्यम से सामाजिक बुराईयों पर प्रहार करते हैं। आपकी लेखन विधा-काव्य सहित सभी विधाएं है। किताब-‘सब रोटी का खेल’ आ चुकी है। साथ ही विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन हो चुका है। आपको गीतिका श्री (सुलतानपुर),साहित्य रत्न(कुशीनगर) शिल्प शिरोमणी सम्मान(गाजीपुर)प्राप्त हुआ है। विशेष उपलब्धि-आकाशवाणी से काव्यपाठ करना है। आकाश महेशपुरी की लेखनी का उद्देश्य-रुचि है।

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