है नहीं उपमान कोई
विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ दीप तेरी जलन का तो,है नहीं उपमान कोई।है अनोखी जलन तेरी,तू जले हर बार बुझ करशलभ भी जलता न कोई,बुझ चुके तो नेह भर-भर।हो गया अभिशप्त तू,या,पा गया वरदान कोई। नेह तेरा जल रहा है,क्यों न तू भी जले दीपकशलभ तुझको छल रहा है,विश्व देखे खेल अपलक।शलभ जलता या जले तू,कर सके अनुमान … Read more