वीर शिवाजी राजे

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) *********************************************************************** भारत माँ के वीर सिपाही,तुम्हें नमन् है मेरा।हे महाराजा वीर शिवाजी,अभिनंदन है तेरा॥ प्राणों को हाथों में लेकर,तुमने शौर्य रचाया,मुग़ल हुक़ूमत थर्राई थी,ऐसा कर्म रचाया।तुम वीरों के वीर लाड़ले,भारत माँ के बेटे,अफज़ल ख़ां से महाबली आ पग में तेरे लेटे। जननी ने तुमको सेनानी,नेह नज़र से हेरा।हे महाराजा वीर शिवाजी,अभिनंदन … Read more

बोझ ज़िन्दगी का लेकर के

नरेंद्र श्रीवास्तव गाडरवारा( मध्यप्रदेश) ***************************************************************** धूल-धूसरित दुर्गम पथ ये जिस पर चलना नहीं गंवारा, बोझ ज़िन्दगी का लेकर के,चलते-चलते मैं तो हारा। पतझड़-सा मौसम छाया है, नीरसता का वातावरण है। कल-कारखानों का गुंजन क्यों ? खामोशी की लिए शरण हैll वीरानी-वीरानी दिखती है,जिधर नजर करती इशारा, बोझ ज़िन्दगी का लेकर के,चलते-चलते मैं तो हाराll घुटन … Read more

सम्मान

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** माँ तेरे चरणों में पाया, अक्षय धन सम्मान है। तुझसे ही ये बेटा तेरा, तुझसे आज जहान हैll धरती की खातिर ही मैंने, अपना सब कुछ वार दिया। मरते दम तक तन को अपना, न्योछावर हर बार किया॥ मातृ भूमि की लाज बचाने, में अपनी ही शान है। … Read more

आकर मेहमान जैसे जाएगा ‘कोरोना’..

सुनील चौरसिया ‘सावन’ काशी(उत्तरप्रदेश) ********************************************************** आकर मेहमान जैसे जाएगा कोरोना, ‘लॉकडाउन’ का पालन कर,हाथ हरदम धोना।। सामाजिक दूरी,है बहुत जरूरी, धैर्य धारण करो,इच्छाएं होंगी पूरी। सबको हँसाना,मत हिम्मत हार रोना, आकर मेहमान जैसे जाएगा कोरोना। ‘लॉकडाउन’ का पालन कर,हाथ हरदम धोना…॥ चिकित्सक जवान हैं धरती के भगवान, शासन-सरकार का भी करो सम्मान। संकट की घड़ी … Read more

मानवता पर क्रूर वार

अख्तर अली शाह `अनन्त` नीमच (मध्यप्रदेश) **************************************************************** जूझ रही जब दुनिया सारी, ‘कोरोना’ की बीमारी से। आर्थिक प्रतिबंध ऐसे में, मानवता पर क्रूर वार हैं॥ एक सूत्र में दुनिया सारी, बंधी हुई है सभी जानते। मानवता के रक्षक हैं जो, जग सारा परिवार मानते। नहीं एक राष्ट्र का दुःख जब, दामन सारे तार-तार हैं। आर्थिक … Read more

भीगी पलकें

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** (रचनाशिल्प-१६/१६) भीगी पलकें सुना रही है, एक अनकही मौन कहानी। आँखों में शबनम की बूँदें, लगती प्यारी देख सुहानीll सपनों का अम्बार लगा है, चैन नहीं मिलता है इनको। खोई रहती हैं यादों में, हृदय बसाकर रखती जिनकोll अश्क सँजोए रखती हरदम, पिय की सुन्दर प्रेम निशानी। आँखों … Read more

गांधारी-कृष्ण संवाद

संदीप ‘सरस’ सीतापुर(उत्तरप्रदेश) ******************************************************************* हे कृष्ण मुझे उत्तर दे दो,द्वारिकाधीश उत्तर दे दो। मैं गांधारी हूँ पूछ रही,देवकीपुत्र उत्तर दे दो। बोलो भाई को भाई से लड़वाना कैसा धर्म रहा ? हे कृष्ण हमारे पुत्रों को मरवाना कैसा धर्म रहा ? हे कृष्ण मुझे उत्तर दे दो,द्वारिकाधीश उत्तर दे दो। पांडव वन में सन्तुष्ट रहे,तुमने … Read more

हिंदी का गुणगान करें

अवधेश कुमार ‘अवध’ मेघालय ******************************************************************** हिंदी ने सब कुछ सिखलाया,हिंदी का गुणगान करें, जिसने जना चंद जगनिक कवि,उसका हम सम्मान करें। खुसरो की ‘कह मुकरी’ जिसकी गोदी में मुस्काती हो- ऐसी पावन भाषा से नित,नूतन नवल विहान करें। हिंदी का गुणगान करें…॥ पद्मावत रच दिये जायसी,बीजक दास कबीर रचे, सागर सूर साख्य केशव सँग,राधारानी पीर … Read more

मौसमी उरतिया

विजयलक्ष्मी विभा  इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश) ********************************************************* सपनों से आज हुईं मनचाही बतिया, पता नहीं कौन पल बीत गयी रतिया। बरसाती मौसम की रिमझिम फुहारों से, खिड़की की जाली से छनती बौछारों से। तन-मन पर चुभती-सी रसभीनी सुइयां, जियरा को गुदगुदाय सतरंगी रुइया। न जाने ऐसे में उलझ गई मनुआ से, किसकी अनबूझी अनचीन्ही सुरतिया॥ रेशम के सपनों … Read more

मंज़िल को हम पाएंगे

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे मंडला(मध्यप्रदेश) *********************************************************************** नया काल है,नया साल है,गीत नया हम गाएंगे, करना है कुछ नवल-प्रबल अब,मंज़िल को हम पाएंगे। बीत गया जो,विस्मृत करके नव उत्साह जगाएंगे, सुखद पलों को स्मृति में रख कटुता को बिसराएंगे। नई ऊर्जा,नई दिशाएं,नव संकल्प सजाएंगे, करना है कुछ नवल-प्रबल अब,मंज़िल को हम पाएंगे॥ अंतर्मन में शुचिता लेकर, … Read more