मीरा
डॉ.एन.के. सेठी बांदीकुई (राजस्थान) ************************************************************************* गिरिधर के प्रेम में दिवानी, मीरा बनी बावरी। जोगन बनकर फिरती जग में, दिवस और विभावरी॥ कान्हा की मूरत को लेकर, ध्यान उसका ही करे। हाथों में इकतारा लेकर, गुणों बखान का करे॥ फिरती दर-दर जोगिन बनकर, भक्ति करती कान्ह की। मोर पंख कांधे पर झोली, दासी बनी श्याम की॥ … Read more