भारतीय संस्कृति और भाषाओं के वैश्विक प्रचारक प्रो.रत्नाकर नराले

डॉ.राकेश कुमार दुबे टोरंटो(कनाडा) ************************************************************** टैग-साहित्य सेवा को समर्पित ........ भारत से बाहर भारतीय मूल के लोगों एवं अभारतीय लोगों में भारतीय संस्कृति और भारतीय भाषाओं के प्रचार में भारतीय…

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बलात्कार की व्यापकता…विचारने की जरूरत

अवधेश कुमार ‘अवध’ मेघालय ******************************************************************** जब से मूलभूत आवश्यकताओं के अभाव में लोगों के मरने की समस्या खत्म हुई है,मानव जनित एक नई समस्या ने आकर समाज को घेर लिया…

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बोए पेड़ बबूल कॆ,आम कहाँ से होए

अजय जैन ‘विकल्प इंदौर(मध्यप्रदेश) ******************************************************************* बरसों पुरानी एक कहावत है-'बोए पेड़ बबूल कॆ,आम कहाँ से होए',जो नापाक इरादों कॆ मालिक देश पाकिस्तान पर सटीक बैठी है। जी हाँ,क्योंकि भारत का…

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पोंगापंथी हिंदुत्व और पोंगापंथी इस्लाम

डॉ.वेदप्रताप वैदिक गुड़गांव (दिल्ली)  ********************************************************************** आज हमारे विचार के लिए दो विषय सामने आए हैं। एक तो कानपुर के युवा मुहम्मद ताज का,जिसे कुछ हिंदू नौजवानों ने बेरहमी से पीटा…

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भाषा नीति पर ढुलमुलता छोड़ मजबूती से आगे बढ़ने की बेला

डॉ.विनोद बब्बर नई दिल्ली **************************************************** भाषा जीव के मानव बनने की दिशा में प्रथम कदम कहा जा सकता है। आरंभ में संकेतों की भाषा रही होगी जो कालांतर में शब्द…

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एकाधिकार से ही हिंदी का राष्ट्रभाषा बनना और जनसंख्या नियंत्रण संभव

डॉ.अरविन्द जैन भोपाल(मध्यप्रदेश) ***************************************************** नयी शिक्षा नीति ने यह स्पष्ट कह दिया है कि हम हिंदी नहीं थोपेंगे किसी भी प्रान्त या भाषा पर। यह बहुत सही निर्णय है,जिस प्रकार…

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जलसंकट के दौर में याद आया ‘राखुंडा’

राकेश सैन जालंधर(पंजाब) ***************************************************************** 'राखुंडा नई पीढ़ी के लिए शायद नया शब्द हो,परंतु दक्षिणी पंजाब,हरियाणा व राजस्थान में दो दशक पहले तक यह जीवन का हिस्सा था। 'राख' और 'कुंड'…

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काला धन खत्म कैसे हो ?

डॉ.वेदप्रताप वैदिक गुड़गांव (दिल्ली)  ********************************************************************** काले धन ने हमारी संसद को भी अंगूठा दिखा दिया है। कोई यह बताए कि जिनकी जिंदगी ही काले धन पर निर्भर है,वे यह क्यों…

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चिकित्सा शिक्षा में नैतिक मूल्यों की सार्थक पहल

ललित गर्ग दिल्ली ******************************************************************* देश में आज चिकित्सक एवं अस्पताल लूट-खसौट,लापरवाही,भ्रष्टाचार,अनैतिकता एवं अमानवीयता में शुमार हो चुके हैं,आए-दिन ऐसे मामले प्रकाश में आते हैं कि अनियमितता एवं लापरवाही के कारण…

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`एक देश-एक चुनाव`…एक तीर से कई निशाने

डॉ.अरविन्द जैन भोपाल(मध्यप्रदेश) ***************************************************** द्रोणाचार्य ने पेड़ पर बैठे पक्षी को निशाना लगाने को बोला,सबने निशाने ताने,पर अर्जुन ने पक्षी की आँख को ही निशाना साधा और वह सफल हुआ।…

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