कुल पृष्ठ दर्शन : 248

You are currently viewing बोए पेड़ बबूल कॆ,आम कहाँ से होए

बोए पेड़ बबूल कॆ,आम कहाँ से होए

अजय जैन ‘विकल्प
इंदौर(मध्यप्रदेश)
*******************************************************************

बरसों पुरानी एक कहावत है-‘बोए पेड़ बबूल कॆ,आम कहाँ से होए’,जो नापाक इरादों कॆ मालिक देश पाकिस्तान पर सटीक बैठी है। जी हाँ,क्योंकि भारत का पड़ोसी होकर पीठ में हर बार-हर बात पर खंजर घोंपने वाले इस देश में इस समय इतनी कंगाली आई है कि देश पूरी तरह कर्ज में किसी जहाज की भांति डूब चुका है। इसके बाद भी नापाक देश पाक कॆ वजीरे आजम को इतनी-सी बात समझ में नहीं आई है कि आतंकवाद ने देश को खोखला कर दिया है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने देश के नाम हाल ही में संबोधन में कहा है कि पिछले १० साल में पाकिस्तान का कर्ज़ ६००० अरब पाकिस्तानी रुपए से बढ़कर ३० हज़ार अरब पाकिस्तानी रुपए तक पहुंच गया है। इससे देश के पास अमेरिकी डॉलर की कमी हो गई,और हमारे पास इतने डॉलर नहीं बचे कि हम अपने कर्ज़ों की किस्त चुका सकें। हम डर में जी रहे हैं कि कहीं पाकिस्तान डिफॉल्टर ना हो जाए। अगर ऐसा होता है तो देश के बुरे हालात हो जाते। मतलब साफ है कि बोरियों में रुपए भरकर ले जाते तो कुछ रोटियां मिलतीं। हमारा हाल भी वेनेज़ुएला वाला हो जाता। जबसे सरकार में आया हूँ तबसे इसी दबाव में रहा। शुक्र है कि हमारे दोस्त मुल्क यूएई,सऊदी अरब और चीन से से मदद मिली। पाकिस्तान के अखबार डॉन में छपी खबर के मुताबिक,बजट में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का असर साफ दिखाई दिया है। दरअसल, आतंक के मुखिया पाकिस्तान ने कोष से छह अरब डॉलर का कर्ज़ लिया है,लेकिन इसके बदले पाकिस्तान को कोष की कई शर्तें माननी पड़ी हैं,जिनके लागू होने पर महंगाई और करों का बढ़ना तय है। इधर सरकार ने आयकर की अधिकतम दर २५ से बढ़ाकर ३५ फीसदी कर दी है। साथ ही मासिक आय के ब्रैकेट को भी पहले से कम कर दिया गया है। जानकारों के अनुसार इमरान ख़ान सरकार का लक्ष्य है कि नए वित्तीय वर्ष में केवल आय कर से ही २५८ अरब रुपए जुटाए जा सकें। झूठ के सरगना पाकिस्तान के वित्त मंत्री ने हाल ही में इमरान ख़ान सरकार का पहला पूर्ण बजट पेश किया, जिसमें आय और विक्रय कर बढ़ाने पर ज़ोर दिया गया है। निश्चित ही इसके अमल में आने पर जहां आयकर दाता का चिढ़ना तय है,वहीं बाजार बनाम व्यवसाय पर भी असर पड़ेगा। इससे आमजन की जेब एवं व्यवस्थाओं पर भी असर पड़ना ही है। भारत सहित कई देशों में आतंकवाद की खेती करने में रात-दिन और नींद में भी सक्रिय इस देश की हालत अब सुधार के बिंदु से पार हो चुकी है। इसके बावजूद इस देश की सेना,आतंकवादी और राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री यह समझने-मानने को तैयार नहीं हैं कि उनका आतंक अब उनके देश के लिए ही नासूर बन गया है। अब तक की भी सरकारों द्वारा आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा दिए जाने,रक्षा पर बड़ी राशि खर्च किए जाने का ही यह फल है जो ऐसे हर देश को भुगतना ही होगा। भारत ने आतंक के विरोध में शुरू से ही मोर्चा खोले रखा और आज भी खुद ही लड़ ही रहा है। बस,सफलता यह है कि विश्व स्तर पर पाकिस्तान की हरकतें और व्यवहार नापाक साबित हो चुका है। भूखे-नंगे देश, मंहगे देश,गरीब देश और आतंकी पाकिस्तान ने आज फिर साबित किया है कि ‘ईश्वर के घर देर है,अंधेर नहीं’। भारत वर्षों से जो बात कहता रहा है,वह बात अब पूरी तरह सही हो गई है कि,यानी बोए पेड़ बबूल के तो आम कहाँ से होए।

Leave a Reply