गोष्ठी में कवि अनिल कुमार ‘राही’ सम्मानित

वाराणसी(उप्र)। नगर के भोजूवीर स्थित ‘स्याही प्रकाशन’ परिसर में मंगलवार को संस्था ‘उद्गार’ की मासिक कवि गोष्ठी आयोजित हुई। इसमें मुंबई से आए साहित्यकार व कवि अनिल कुमार राही का…

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संग्रह में आदि से अंत तक लोक कल्याण-भाव की प्रधानता-डॉ. कुमार

पुस्तक समीक्षा व गोष्ठी..... पंचकूला(हरियाणा)। इस संग्रह में आदि से अंत तक लोक कल्याण-भाव की प्रधानता है। इनका जनजागरण के माध्यम से राष्ट्र हित की साधना का फलक अत्यंत विराट…

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साहित्य की पुष्टि के लिए च्यवनप्राश है ‘माधवी’ उपन्यास

लोकार्पण.... इंदौर(मप्र)। जैसे मनुष्य का शरीर होता है, ठीक वैसा ही शरीर साहित्य का होता है। पूरे शरीर का पुष्ट होना साहित्य के लिए भी उतना ही ज़रूरी है,जितना ये…

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व्याख्यान माला की पुस्तक विमोचित

इंदौर(मप्र)। राष्ट्र सेविका समिति की बौद्धिक प्रमुख श्रीमती सीमा भिसे ने देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार अध्ययनशाला द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में उपस्थित होकर पुस्तक का विमोचन किया।…

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नष्ट हो जाएँगी हिंदी सहित सभी भारतीय भाषाएँ..!

वैश्विक ई-संगोष्ठी... मुम्बई (महाराष्ट्र)। पिछले १०-१५ वर्ष से यह साफ दिख रहा है कि यदि हमने कुछ बड़े बदलाव नहीं किए और चीजें इसी तरह चलती रही तो आज से…

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कलम की ताकत बेहद महत्वपूर्ण-डॉ. जैन

अ.भा. महिला साहित्य समागम.... इंदौर। समाज के विकास में भारतीय नारियों की विशिष्ट भूमिका रही है। कलम की ताकत बेहद महत्वपूर्ण है,भले ही वह पुरुष के हाथ में हो या…

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‘शब्दों को विश्राम कहाँ’ संग्रह विमोचित

पंचकूला(हरियाणा)। हरियाणा साहित्य अकादमी व उर्दू अकादमी पंचकूला के निदेशक-साहित्यकार डॉ. चंद्र त्रिखा ने वरिष्ठ कवयित्री व लघु कथाकार श्रीमती संतोष गर्ग की पुस्तक 'शब्दों को विश्राम कहाँ' लघु काव्य…

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बच्चों तक बाल साहित्य नहीं पहुंच रहा

ऑनलाइन कार्यशाला.... अल्मोड़ा (उत्तराखंड)। बच्चों तक बाल साहित्य नहीं पहुंच रहा है। बच्चे मोबाइल से चिपके रहते हैं,यह सही नहीं है। जागरूक अभिभावक बच्चों को रचनात्मक कार्यों एवं साहित्य से…

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समाज और राष्ट्र की जरूरत के अनुसार रचना कर्म करें- डाॅ. दवे

स्मृति समारोह..... इंदौर(मप्र)। रचनाकार समाज और राष्ट्र की जरूरत के अनुसार रचना कर्म करें। आजादी के महानायकों और क्रांतिकारियों के अनछुए पहलुओं पर भी लेखन करें।यह बात इंदौर प्रेस क्लब…

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स्त्री स्वयं सिद्धा,बनाती रही है अपने रास्ते-सुमित्रा महाजन

अखिल भारतीय महिला साहित्य समागम इंदौर (मप्र)। स्त्री स्वयं सिद्धा है और मर्यादा के मार्ग से अपने रास्ते बनाती रही है। स्त्री से अधिक सामंजस्य की परिभाषा कौन जानता है,वह…

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