तुम मानो या न मानो…

ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)******************************************** आता ये बेखटके सामने बिना बुलाए,कैसे गम छिपाए इन्हें कहाँ दिल ले जाए…। सोचा था कम से कम कायदा तो समझोगे,छोड़ो भी तुम अब क्या वायदे को…

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खुशियों से दूरी है

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** जीवन संघर्ष..... मैं मजदूर हूँ, मजबूर हूँ, खुशियों से दूरी हैतकदीर लिखी है रब ने कैसी!हर पल ही मजबूरी है। भार धरा पर खूब उठाता,पर पीड़ा कोई…

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बासी रोटी भी कहाँ!

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* बासी रोटी के लिए, भटक रहे बहु लोग।कैसी आजादी मिली, फँसे कोटि जन रोग॥ देख भूख की विवशता, क्रन्दित है कवि चित्त।कैसी जनता अवदशा,…

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…लो आया मौसम चुनाव का

डॉ. योगेन्द्र नाथ शुक्लइन्दौर (मध्यप्रदेश)****************************** सारा देश बना इन दिनों रंगमंच,नित नये चल रहे कौतुक सततपटाक्षेप भी हो पाता नहीं,कि शुरू हो जाता नया नाटक...लो आया मौसम चुनाव का!प्रत्याशियों की…

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ख़्वाब में नहीं देखा

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)****************************************** किताब-ए-ज़िंदगी के बाब में नहीं देखा।बहुत दिनों से उसे ख़्वाब में नहीं देखा। बहुत दिनों से मेरी आँखों में अँधेरा है,बहुत दिनों से उसे…

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चुनाव

दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)******************************************* पाँच साल बाद जब आता है चुनाव,सभी लगाने लगते हैं अपना-२ दाँवनैया सभी की डूब जाती है मझधार,किसी एक की ही पार लगती है…

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भारतीय मजदूर

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* जीवन संघर्ष (मजदूर दिवस विशेष)... मैं भारत का रहने वाला, भारतीय मजदूर हूँहमारी लाचारी नहीं, पेट के लिए मजबूर हूँ। भारत में मजदूरी का, कोई भी…

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दिहाड़ी मजदूर

कमलेश वर्मा ‘कोमल’अलवर (राजस्थान)************************************* जीवन संघर्ष (मजदूर दिवस विशेष)... अकेले बैठे सोच रहा था दिहाड़ी का मजदूर,आज का दिन तो निकल गया कल का क्या होगा ? घर से निकल…

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थकते नहीं, मजदूर हैं

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* जीवन संघर्ष (मजदूर दिवस विशेष)... श्रम करतेसिर पर टोकरीथकते नहीं। भार उठातेकरते परिश्रमतपती धूप। औरों के हितनिज का परित्यागयही जीवन। सर्दी गरमीसबमें है समानफिर भी खुश।…

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बहुत देर कर दी

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)**************************************** प्यार टेसू-सा,जो मौसम का रखताप्यार का हिसाब,यदि गुलाब-सा होताखुशबू बरकरार,किताबों में रखा फूलमहकता रहता,सूखने के बाद भीदूरियाँ यादों कीवाई-फाई,मगर देर हो चुकीचिड़िया चुग गई खेत। सपने बने…

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