हो परिवार
अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** हो परिवारकाका-काकी से लाड़रखिए प्यार। बिखरे नातेऐसे-कैसे सम्बन्धस्वार्थ निभाते। टूटे समाजघटे प्रेम-संस्कारबची ना लाज। पड़ोसी भलाखटकते माँ-बापकाटते गला। मन अकेलाकहाँ खुशी का मेलानहीं ये भला। सभ्यता बेचीबनावटी है रिश्ते-चलाई कैंची। उधारी रिश्तेयूँ मन में जलनमत रखिए। चाहना भलाहै संस्कृति बचानीहोगा उद्धार। ना हो व्यापारअपनापन रहेदें सदा प्यार। बुरा एकलहो संयुक्त समाजमहान देश। … Read more