आप ना होते…

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** आप ना होतेसंसार न मिलताहम ना होते। पेड़-सी छायाजीवन वटवृक्षपिता ही काया। माँ सम नहींधीर-गम्भीर होतेवो कम नहीं। सब सिखायाथामी सदा अंगुलीबने वे साया। करूँ प्रणामसर्वोत्तम हैं पिताउनसे नाम। उनका कर्जहाथ नहीं छोड़नानिभाना फर्ज़। आँसू न देनाचाहते वो प्रगतिमान रखना। सुनें उनकीसबक का खजानासीख उनकी। सब जानतेफटे जूते रहतेवो मुस्कुराते। बहाते स्वेदहर … Read more

भविष्य बचाएँ

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** बड़ी समस्याझुलसे बचपनचलो बचाएँ। भट्टी भ्रम कीहै गम्भीर चुनौतीइसे बुझाएं। चिंता की बातबीते आधा जीवनन मिला लक्ष्य। पालन नहींकानून का मजाकअंकुश लगे। समझें हमबचपन का मोलशिक्षा दिलाएँ। आनंद मिलेबाल मजदूरी क्यों ?शाला दिखाएँ। बाल श्रम क्यों ?भविष्य खतरे मेंचलो बचाएँ। थामें ये हाथसब करें प्रयासआस बढ़ाएँ। विकट घड़ीसाथ देना चाहिएहाथ मिलाएँ। कईं … Read more

संभालो जरा

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** स्वच्छ जमीन-स्वच्छ आसमान… स्वर्ग-सी धराजीव की साँस यहीसंभालो जरा। पर्यावरणअनमोल है वायुन हो क्षरण। ये पंचतत्वकरें जरा सचेतयही अस्तित्व। ये प्रदूषणमिटा देगा सबकोनिभाओ धर्म। जल जीवनयूँ सेहत बनाएँसमझें बात। स्वच्छ जमीनहो तन-मन अच्छास्वच्छ आसमां। हरकतों सेवैश्विक ताप बढ़ान काटें पेड़। कचरा कमदुरुपयोग नहींजी सकें हम। हो जल-वायुमिलेगी ना दोबारारहेगी आयु। करें प्रतिज्ञाजलवायु … Read more

हो परिवार

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** हो परिवारकाका-काकी से लाड़रखिए प्यार। बिखरे नातेऐसे-कैसे सम्बन्धस्वार्थ निभाते। टूटे समाजघटे प्रेम-संस्कारबची ना लाज। पड़ोसी भलाखटकते माँ-बापकाटते गला। मन अकेलाकहाँ खुशी का मेलानहीं ये भला। सभ्यता बेचीबनावटी है रिश्ते-चलाई कैंची। उधारी रिश्तेयूँ मन में जलनमत रखिए। चाहना भलाहै संस्कृति बचानीहोगा उद्धार। ना हो व्यापारअपनापन रहेदें सदा प्यार। बुरा एकलहो संयुक्त समाजमहान देश। … Read more

माँ बिन तम

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** माँ बिन…! माँ ही है गुरुउजाला जीवन कासबसे शुरू। माँ अनुपमबेफिक्र दुनिया सेसहती गम। होती जननी,माँ बिन क्या जगतमाँ ही धरणी। माता महानजलती दीपक-सीमाँ है विज्ञान। कभी ना हारेमाँ बिन अंधकारबच्चे दुलारे। माँ तेरी गोद,पाया पूरा संसारअखंड शांति। ममता मूर्तिहर खजाना पल्लूमाँ करे पूर्ति। माँ है ईश्वरपरिवार की धुरीकरे दुलार। माँ बिन … Read more

जीवन

डॉ.पूजा हेमकुमार अलापुरिया ‘हेमाक्ष’मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************** जीवन छोटाउम्मीदें बहुत हैंकैसे पूरी हों ! आशा जीवननिराशा भी जीवनसमझे कौन ? दु:ख जीवनहर्ष भी है जीवनसमझे अब। जीवन नैयाफल-फूल रही हैप्रभु तुमसे। जीवन रेखाबदले पल-पलदे नव रंग। सफलता हैजुड़ी जीवन संगरख धैर्य तू। बदले ऋतुबदले पवन भीसमझ ज़रा। स्थिर नहीं हैबदलता जीवनसिर्फ आशा से। परिभाषा हैसदैव जीवन कीमुस्कुरा … Read more

बाँटो खुशियाँ

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** बुद्ध पूर्णिमा (५ मई) विशेष… बनिए बुद्धकरें प्रयास शांतिनहीं हो युद्ध। सबका साथगौतम बुद्ध आसदीजिए साथ। पालें अहिंसापाएँ स्वयं की जीतमिटे अज्ञान। नहीं मिटतीबुराई से बुराईप्रेम सहारा। बाँटो खुशियाँदुष्ट मित्र से दूरीबुद्धि बचाओ। हो जनहित,प्रेम आधारशिलानहीं दमन। मोह छोड़िएहो नीति, न्याय, शांतिअपना आदर्श। पोषण करें,विषमता घातकसमझें सत्य। सुख समाधिनहीं कल की चिंताहो … Read more

चाहूँ आसरा

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** मजदूर हूँहूँ नींव का पत्थरमजबूर हूँ। चाहूँ आसराकरूँ महल खड़ेहूँ बेसहारा। मेरी बेबसीसोता रात को भूखागायब हँसी। कई योजनादूरी सदा सुख सेहूँ तरसता। कैसी सुविधा!सड़क ही जीवनखत्म जिंदगी। दुःख से मौनरचा ताजमहलसब बेहाल। मेरा पसीनाआराम पाते सबमुश्किल जीना। लालच नहींदो जून की रोटी हीचाहूँ कीमत। खुशी से दूरकश्मकश रोटी कीसदा संघर्ष। हम … Read more

रखें अक्षय रिश्ते

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** अक्षय सुखरहे अक्षय शांतिअक्षय स्वास्थ्य। शिक्षा अक्षयहो अक्षय समृद्धिरहें अक्षय। मिले सम्मानमन की सुन्दरताबढ़े जीवन। अक्षय शक्तिमिले यूँ सदबुद्धिअक्षय यश। अक्षय स्नेहसंग खूब संपत्तिपाएँ आनन्द। अक्षय खुशीहै मंगल कामनामन अक्षय। रहें अक्षयबढ़ाएं सदा हाथकरें भलाई। छोटा जीवनरखें अक्षय रिश्तेउर विशाल। जीवन नश्वरबस साथ निभानाबनें अक्षय। हों अविनाशीबरसे धन धराशुभकामना॥

है मन बावरा

ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** क्या शांति गीतहै मन बावराभीतर मीत…। पँख झुलसेप्रीत पाखी व्याकुलबंधे भू रीत…। सुदूर नभदृग छोर तलकरेतीला टिश…। लू जैसे स्वाँसवाह्य दग्ध वायुढूँढते शीत…। शिथिल कायाअहर्निश अनलबुझता दीप…। पल्लव दलनैन रक्त पुष्प केहोते पतित…। नेह मेघ आअनिमेष दृष्टि मेंतृष्णा प्रतीत…। स्मृति कुम्भ मेंरक्षित गंगाजलएक अतीत…॥ परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ … Read more