अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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स्वच्छ जमीन-स्वच्छ आसमान…
स्वर्ग-सी धरा
जीव की साँस यही
संभालो जरा।
पर्यावरण
अनमोल है वायु
न हो क्षरण।
ये पंचतत्व
करें जरा सचेत
यही अस्तित्व।
ये प्रदूषण
मिटा देगा सबको
निभाओ धर्म।
जल जीवन
यूँ सेहत बनाएँ
समझें बात।
स्वच्छ जमीन
हो तन-मन अच्छा
स्वच्छ आसमां।
हरकतों से
वैश्विक ताप बढ़ा
न काटें पेड़।
कचरा कम
दुरुपयोग नहीं
जी सकें हम।
हो जल-वायु
मिलेगी ना दोबारा
रहेगी आयु।
करें प्रतिज्ञा
जलवायु की रक्षा
संकल्प पक्का॥