सम्मान समारोह १० जून को

नागदा(मप्र) | वैश्विक महामारी कोविड की समयावधि में साहित्यिक विचार-विमर्श की आभासी संगोष्ठी के निरन्तर शिक्षा,साहित्य,संस्कृति के लिए संकल्पित संस्था ‘शिक्षक संचेतना‘ ने १०० आयोजन पूरे कर लिए हैं। महासचिव…

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युग नया आएगा

मनोरमा जोशी ‘मनु’ इंदौर(मध्यप्रदेश)  ***************************************** प्रभाती कोई दूर पर,गा रहा हैबढ़ो सामने युग नया,आ रहा है।नयी रुपरेखा बनी,जिंदगी कीनयी चाँदनी अब,खिलेगी खुशी की।हृदय मानवों का भरेगा,नमन शत धरा कोगगन,अब करेगा।नया चन्द्रमा…

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उनकी नजर

आदर्श पाण्डेयमुम्बई (महाराष्ट्र)******************************** नजरें उनकी थीं,प्यार हमारा थातुमने यूँ ही नहीं,अपने बालों को संवारा था।तुमने हमें यूँ देखा तो,लगा किसी ने टोका था।पर हमें क्या पता,वो मोहब्बत नहीं,दिल्लगी का इशारा…

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बता क्या

विनोद सोनगीर ‘कवि विनोद’इन्दौर(मध्यप्रदेश)************************************* जिंदगी बड़ी हसीं है तुझे पता क्या,न हो मरना तो जीने का मजा क्या। रेत-सा फिसलता है वक्त हाथों से,फिर भी घड़ी में तेरी बता बजा…

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तान गई डीजे बजे,बीन गई खो आज

पर्यावरण दिवस पर कवि सम्मेलन सरगुजा (छग)। कलम की सुगंध छंंदशाला के तत्वावधान में पर्यावरण दिवस के अवसर पर ऑनलाइन कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। भारत के अनेक राज्यों…

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‘हार हमें स्वीकार नहीं’ से जगाया श्रोताओं में विश्वास

मंडला(मप्र)। साहित्यिक संस्थान अंतर्राष्ट्रीय शब्द सृजन ने 'कोरोना' से पीड़ित मानवता में विश्वास पैदा करने हेतु 'हार हमें स्वीकार नहीं' विषय पर काव्य समागम किया। इसमें वरिष्ठ साहित्यकारों ने अपनी…

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मैं लड़की हिन्दुस्तानी

शिखा सिंह ‘प्रज्ञा’लखनऊ (उत्तरप्रदेश)************************************** कर दूँ,मैं सत्य कल्पनाएं,मैं आशा कि वो ज्योति हूँ,जग में जिसका न मोल कोई अनमोल सीप की मोती हूँ। द्रौपदी-सी नहीं लाचारी,हर एक पुरुष पर भारी…

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सरगुजा की साहित्यकार अनिता द्वारा नवल छंद का आविष्कार

अंबिकापुर-सरगुजा(छग) | अम्बिकापुर की व्याख्याता और साहित्यकार अनिता मंदिलवार 'सपना' ने हिन्दी साहित्य में नए छंद का आविष्कार किया है। गुरूदेव संजय कौशिक 'विज्ञात' के मार्गदर्शन में कलम की सुगंध…

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राजनीति का खेल

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* राजनीति के खेल में,पिसते सदा गरीब।वोट माँगकर दीन का,जाते नहीं करीब॥ सत्ता पाना है हमें,एक यही बस लोभ।मरते नित्य गरीब पर,कभी न करते क्षोभ॥ दौलत की…

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विनती

प्रिया देवांगन ‘प्रियू’ पंडरिया (छत्तीसगढ़) ************************************ विनती करती मैं सदा,जोड़ूँ दोनों हाथ।विद्या दो माँ शारदे,चरण झुकाऊँ माथ॥ विनती मेरी आपसे,मुझको दो वरदान।मैं छोटी-सी लेखिका,मिले कलम को मान॥ जय माँ वीणा…

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