कृष्ण-लीला
प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************** धर्म,नीति का सार थे,राधा के गोपाल।उनके कारण धन्य है,द्वापर का वह काल॥ बचपन से करते रहे,लीलाएँ घनश्याम।नहीं हुई तब ही कभी,सत्य,न्याय की शाम नटनागर का रूप है,सचमुच में कुछ ख़ास।बचपन से देते रहे,सबको वे आभास॥ माखन खाकर बन गए,गिरिधर तो ख़ुद चोर।यह लीला रोचक रही,नाचा मन का मोर॥ पराभूत कर … Read more