माँ

डीजेंद्र कुर्रे ‘कोहिनूर’  बलौदा बाजार(छत्तीसगढ़) ******************************************************************** लुटाती प्यार का सागर,रखे मुझमें ही अपनी जां, कभी कुछ बात जब कहती,सहज रहती है मेरी हाँ। सदा से मैं ही हूँ जिसका,कलेजे का…

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जिस पथ पर मजदूर अनेक

संजय गुप्ता  ‘देवेश’  उदयपुर(राजस्थान) ******************************************************************** सड़क हादसों में काल कवलित मजदूरों को श्रृद्धांजलि... ये भूख है,खौफ है,मजबूरी है या कोई इनकी हताशा ये 'पुष्प के आँसू' होते,या होती 'पुष्प की…

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तात्कालिक ‘तालाबंदी’ को स्थायी नशाबंदी में क्यों नहीं बदला जाए ?

डॉ.वेदप्रताप वैदिक गुड़गांव (दिल्ली)  ********************************************************************** 'तालाबंदी' को ढीला करते ही सरकार ने २ उल्लेखनीय काम किए। एक तो प्रवासी मजदूरों की घर वापसी और दूसरा शराब की दुकानों को खोलना।…

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बन्दर और मगर

सुरेश चन्द्र ‘सर्वहारा’ कोटा(राजस्थान) *********************************************************************************** एक घने जंगल के भीतर नदी एक थी गहरी, दृश्य देखने वह उस वन का जैसे आकर ठहरी। उसी नदी से कुछ दूरी पर था…

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अब तो जागो,सभी छोड़ो सोना-प्रो. खरे

ऑनलाइन कवि सम्मेलन में सुमधुर रचनाओं ने बाँधा समां मंडला(मप्र)। अखिल भारतीय भाषा साहित्य सम्मेलन संगठन के तत्वावधान में सुप्रसिध्द कवि प्रो.शरद नारायण खरे मंडला (मप्र)की अध्यक्षता में ऑनलाइन कवि…

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‘कोरोना’,तेरा कितना रोना!

डॉ.अरविन्द जैन भोपाल(मध्यप्रदेश) ***************************************************** भारत वर्ष कृषि प्रधान,श्रमिक प्रधान,भूख प्रधान,झूठ प्रधान इत्यादि कितने प्रधान के साथ आबादी प्रधान देश है।यहाँ जन्म लेने वाला महान होता है,क्योंकि स्वर्ग का दूसरा नाम…

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तुम अनजान हो मेरी मनोव्यथा से

अंतुलता वर्मा ‘अन्नू’  भोपाल (मध्यप्रदेश) ************************************************************ तुम अनजान हो मेरी मनोव्यथा से, जो तुम्हारे बिना होती है मेरी, उसे जीती हूँ मैं। मुझे याद आते हैं, वो सभी पल जो…

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फुर्सत

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* कहने को तो फ़ुर्सत में हैं, लेकिन मुझे तो फुर्सत नहीं। आज फ़ुर्सत को बैठाया कोने, तब मुझे फ़ुर्सत ये मिली। इतनी व्यस्त रहती…

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जनसैलाब

डाॅ. मधुकर राव लारोकर ‘मधुर’  नागपुर(महाराष्ट्र) ************************************************************************* परिवार फटेहाल,सुविधा से वंचित गर्भवती,पत्नी साथ। घर पहुंचने की,इच्छा ने, प्राण को भी,दांव पर लगाया साथ॥ बीच राह में,कहीं छाँव तले, बैठ ढूँढते…

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बुरा है घबराना

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे मंडला(मध्यप्रदेश) *********************************************************************** बुरे पल आते-जाते हैं,बुरा है इनसे घबराना, मनाना ईश को निशदिन,अहितकर होता डर जाना। है भीतर हौंसला तो,बढ़ते जाना,कैसा रुक जाना- जो ठहरा,वह गिरेगा,तब…

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