उड़ जा नील गगन में
विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ ले मन पंछी तुझे छोड़ती,उड़ जा नील गगन में।लेकिन लौट पुन: आ जाना,अपने इसी सदन में॥ले जा एक संदेशा मेरारे आज़ाद मुसाफिरकहना चंदा से,वह भेजे,सपने मेरे ख़ातिर।सपनों से…