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रोचक हिंदी वर्णमाला

ममता तिवारी
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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भारत की आत्मा ‘हिंदी’ व हमारी दिनचर्या  स्पर्धा  विशेष……

अ-अपनी हिंदी,
आ-आत्मा की कुंडी
इ-इस ओर आओ,
ई-ईर्ष्या तृष्णा मिटाओ
उ-उधर मुठ्ठी में शब्द,
ऊ-ऊपर इधर प्रारब्ध
ऋ-ऋचाओं से लब्ध,
ए-एक-एक अक्षर
ऐ- ऐसी सुंदर अन्य लिपि से बढ़कर,
ओ-ओज हिंदी में लाइए
औ-और हिंदी तो क्या चाहिए,
अं-अंगूरी की बिंदी
अ:-लगती प्यारी हिंदी,
क-कड़ी भारत जोड़े
ख-खिली कली न तोड़े,
ग-गेय ज्ञान की हिंदी गंगा
घ-घट-घट बसती हो चंगा,
च-चूरन-सी कभी चटपटी
छ-छू लेती शब्द अंतस घटी,
ज-जन-जन की है भाषा
झ-झाड़ भगाओ हताशा,
त-तीखी भी मीठी संग
थ-थक न हिंदी बोल मलंग,
द-देव नागरी ये लिपि
ध-धन अंनत शब्दों की छिपी,
न-नित नूतन शब्द प्रयोग
प-पावन हिंदी बोले सभी लोग,
फ-फलने-फूलने दो भारत देश
ब-बेटी संस्कृत है आई न विदेश,
भ-भटको नहीं तनिक न विकृत
म-मोहक राष्ट्र भाषा अधिकृत,
ट-टिका रखी क्यों अंग्रेजी सहारे
ठ-ठसक बड़ी हिंदी की प्यारे,
ड-डगमग नहीं स्थिर नैया
ढ-ढले दिन बाकी का भैया,
य-यहाँ या वहाँ भाषा न बुरी
र-रुको,बनाओ न अपनों से दूरी,
ल-लो अब मान चुका संसार
व-विपुल शब्द भरे भंडार,
स-सभी को मान दे अपना
श-शर्म कैसी मातृभाषा लिपटे,
ष-षटकोणी सुषमा जग हट के
ह-हिंदी पढ़ें और हिंदी लिखें,
क्ष-क्षमाशील होना सीखे
त्र-तंत्र-मंत्र-यंत्र की लिपि बोली,
ज्ञ-ज्ञान हिंदी समझ न ठिठोली
ढ़-पढ़ें हिंदी और पढ़ाएं,
ड़-पकड़े हिंदी गले लगाए
ण-जन-गण जागरण फैलाए।
ङ-गंङ्ग- जमुना की धार हिंदी,
ञ-पाञ्चजन्य सी है हिंदी॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।

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