हिन्दुस्तान को दिल से अपनाओ

मोनिका शर्मामुंबई(महाराष्ट्र)********************************* ‘मैं और मेरा देश’ स्पर्धा विशेष…….. वीर रस से सींची यह कविताजो गाती आज़ादी की वाणी है,सिंधु घाटी सभ्यता है रचनाकार जिसकी-यह इस भारत की कहानी है। हिमालय ऊर्ध्वशीर्ष,अटल खड़ा,भारतवर्ष के सरताज मणि-सा जड़ाविशाल सरिताएँ यहाँ गंगा,गोदा,कृष्णा,ब्रह्मपुत्र, तापी,नर्मदा,है झेलम,चिनाब,रावी,व्यास और सतलुज का पंजाब बना।वेद,सनातन, ग्रंथो का जहाँ प्रचार-प्रसार हुआ,‘सोने की चिड़िया’ से विख्यात … Read more

राष्ट्र प्रथम

निर्मल कुमार शर्मा  ‘निर्मल’ जयपुर (राजस्थान) *************************************** ‘मैं और मेरा देश’ स्पर्धा विशेष…….. नारे बहुत लगाये,अब कुछ जतन करें,कर्त्तव्य,राष्ट्र की प्रगति का,निर्वहन करें। कर्म-ध्वजा संवाहक बन,बढ़ना होगा,निज पद,स्वयं,मार्ग अपना गढ़ना होगाशिथिल शिराएं ना हो,इनमें अगन भरें,नारे बहुत लगाये,अब कुछ जतन करें…। माँ के वसन,रक्त-रंजित करने वाले,विश्वास भाव,छल से खण्डित करने वालेभीतरघाती,उन सब दुष्टों का दमन करें,नारे … Read more

मेरा भारत प्यारा

उमा विश्वकर्माकानपुर (उत्तर प्रदेश)**************************************** ‘मैं और मेरा देश’ स्पर्धा विशेष…….. विश्व पटल पर गूँज रहा है,एक यही जयकारा, मेरा भारत प्यारा।सूरज जैसा दमक रहा है,फैला है उजियारा,मेरा भारत प्यारा॥ अलग-अलग परिवेश यहाँ,भिन्न-भिन्न भाषा बोली।जगमग-जगमग दीवाली,है रंग-बिरंगी होली।साथ मनाते क्रिसमस,ईद,अनुपम देश हमारा,मेरा भारत प्यारा….॥ विश्व गुरु की मिली उपाधि,सिर माथे पर धरनी है।जितनी हमको मिली धरोहर,उसकी … Read more

मैं और मेरा देश

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* ‘मैं और मेरा देश’ स्पर्धा विशेष…….. मैं और मेरा देश श्रेष्ठ है,भारत माता शान है।जनगण मुख पर सुरभित होता,यह अपनी पहचान है॥ वतन परस्ती लहू-लहू में,श्रद्धा अमिट अपार है,जाति-पाति है भिन्न धरा पर,हिय में बसता प्यार है।आजादी का बिगुल बजाया, वीरों का बलिदान है,मैं और मेरा देश श्रेष्ठ है,भारत माता शान … Read more

देश हमारा जान से प्यारा

उमेशचन्द यादवबलिया (उत्तरप्रदेश) *************************************************** ‘मैं और मेरा देश’ स्पर्धा विशेष…….. हम शान से जीते हैं यारा,जानता यह बात जगत सारा।जीत उसकी पक्की होती,जो ना कभी हिम्मत हारा।भगत सिंह और लौह पुरुष ने,सौंप दिया जीवन सारा।जन-जन के मन भाव यही हैं,देश हमारा जान से प्यारा…॥ जिस धरती की आन-मान को,शहीदों ने खून से सींचा है।अपने पराक्रम की … Read more

जननी तुल्य मातृभूमि

गोवर्धन दास बिन्नाणी ‘राजा बाबू’बीकानेर(राजस्थान)*********************************************** ‘मैं और मेरा देश’ स्पर्धा विशेष…….. अनेक विविधताओं से भरे हुए मेरे प्यारे भारत देश की संस्कृति बहुरंगी है क्योंकि यहाँ हिन्दू, मुसलमान,ईसाई,सिख,जैन,बौद्ध आदि विभिन्न संप्रदायों के लोग रहते ही नहीं,बल्कि सभी अपने अपने धर्म के अनुसार रीति-रिवाज,पहनावा,खान-पान और मान्यताओं के अनुसार व्यवहार करते हुए एक राष्ट्र के संविधान में आस्था … Read more

हे मेरे देश! किन शब्दों से गुणगान करूँ…

शशि दीपक कपूरमुंबई (महाराष्ट्र)************************************* ‘मैं और मेरा देश’ स्पर्धा विशेष…….. विदेशी भूमि पर जन्म लेने वाले भारत-भूमि के विषय में एक न एक बार या कभी न कभी अवश्य सोचते ही होंगे-‘अगर यहाँ जन्म लिया होता तो मैं ऐसा होता।’अक्सर अपने देश के बारे में जानने की जिज्ञासा अति उत्कंठा उत्पन्न करती है। यह उत्कंठा … Read more

सच्चे हिंदुस्तानी बन जाओ

ज्ञानवती सक्सैना ‘ज्ञान’जयपुर (राजस्थान) ******************************************** ‘मैं और मेरा देश’ स्पर्धा विशेष…….. इस माटी से उपजे हो तो,सच्चे हिंदुस्तानी बन जाओभारत माता बनी यशोदा,तुम कान्हा बनकर दिखलाओ। इस माटी का नीर है अमृत,पी-पी कर हम बड़े हुएइस माटी का कण-कण चंदन,खेल-कूद हम बड़े हुए।इस माटी के अन्न और जल से,सामर्थ्यवान और पुष्ट हुएइस माटी की सौंधी … Read more

देशप्रेम हो चित्त

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ********************************************** ‘मैं और मेरा देश’ स्पर्धा विशेष…….. समरसता के रंग सना जो,सराबोर परिवेश वतन है।प्राणों से प्यारा भारत मन,अनेकता में एक रतन है। जाति-धर्म आधार हीन हो,हर चुनाव आचार नियम है।ऊँचे से नीचे जनता सब,लोकतंत्र आधार सुगम है। कवि ‘निकुंज’ जीवन जन्म सफल,प्रेम भक्ति रग भारत मय है।सहयोगी मानस सुख-दु:ख … Read more

मातृभूमि को प्रणाम

राजबाला शर्मा ‘दीप’अजमेर(राजस्थान)******************************************* ‘मैं और मेरा देश’ स्पर्धा विशेष…….. इंद्रधनुष-सा रंगीला,चाँद सरीखा चमकीला,यह है हिंदुस्तान,बड़ा पावन है इसका धाम।मातृभूमि को मेरा प्रणाम,देश वीरों को मेरा सलाम॥ शस्य श्यामला अपनी धरा बड़ी पावन,अठखेलियां करतीं नदियां जिसके दामन।उत्तर में हिमालय इसका सिरमौर है,दक्षिण में सागर का ओर न छोर है।शीतल मंद सुगंध पवन,जहां बहे अविराम।मातृभूमि को मेरा … Read more