खीजा हुआ हूँ
दृष्टि भानुशालीनवी मुंबई(महाराष्ट्र) ********************************** कोई न आना मनाने मुझे,समझानेबुझाने,बहलाने मुझेसोचा है थोड़ा एकांत रहूं,क्योंकि मैं खीजा हुआ हूँ। हर एक शय से खफा हूँ,है एक मेरी यही आरज़ूकोई ना करना मुझसे…
दृष्टि भानुशालीनवी मुंबई(महाराष्ट्र) ********************************** कोई न आना मनाने मुझे,समझानेबुझाने,बहलाने मुझेसोचा है थोड़ा एकांत रहूं,क्योंकि मैं खीजा हुआ हूँ। हर एक शय से खफा हूँ,है एक मेरी यही आरज़ूकोई ना करना मुझसे…
जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)********************************* चैती माँ का परवाना ले,नव वर्ष हमारा आया है,मौसम का रूप सुहाना ले,नव वर्ष हमारा आया है। देखो माँ की परछाई में,खुद सूरज की अगुवाई में,मानस…
डॉ.अरविन्द जैनभोपाल(मध्यप्रदेश)************************************** ढाई सौ साल से अधिक वर्षों के बाद भी भगवान महावीर के उपदेश आज भी क्यों सार्थक हैं ? इतने समय में कितनी परीक्षाएं न ली गई होंगी,कितने…
अमल श्रीवास्तव बिलासपुर(छत्तीसगढ़) *********************************** जय मंगल मयि, मंगल कारिणि,जय जगदम्बे,जय जग तारिणि।लीला ललित-अमित विस्तारिणि,असुर विनासनि,जय दुःख हारिणि।शोक निकंदनि,जय सुख कारिणि,सौम्य-सुधा सर्वत्र प्रसारिणि॥मोह-रात्रि,दारुण-दुःख हारिणि,जय जगदम्बे, जय जग तारिणि।जय करुणामयि,जय भय हारिणि,जय जगजननी,जय…
इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ********************************************** यूँ तो परीक्षाएं कई प्रकार की होती हैं जैसे पढ़ाई-लिखाई की उपाधियों की परीक्षा,राजनीतिक एवं कूटनीतिक समस्याओं की चुनौतियों की परीक्षा,सामाजिक कुरीतियों को…
ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** रचना शिल्प:मात्रा भार सीढ़ी पँक्ति क्रम-२०-१८-१६-१४- १२-१० मिल पत्थर पर बैठी सोच रही हूँजिस पर धुंधला इंतजार लिखाउस घड़ी की राह तकती हूँहो सूनी आँखों में ख्वाबकहीं ना…
डॉ.सोना सिंह इंदौर(मध्यप्रदेश)************************************** उसने कहा कुछ नहीं,बस देखा मुस्कुराकर औरमैंने स्वीकार लिया बदलाव,अपनी चाल-ढालरहन-सहन खानपान में,मैंने स्वीकार लिया बदलाव अपने जीवन में।उसने कहा कुछ नहीं,बस देखा नज़रें भरकर औरनज़रों के दायरे…
विनोद सोनगीर ‘कवि विनोद’इन्दौर(मध्यप्रदेश)************************************* आदमी जरा थम जा,जहां है वही जम जा।घर में बैठ सुकून से,बाहर अभी कम जा। सबका तू मान रख,तू ही थोड़ा नम जा।बड़ा विध्वंश मचाया है,'कोरोना'…
आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* ज्ञानी सबसे बढ़कर बाबा,पढ़-लिख जाओ सिखलाया।स्वयं अकेला कठिन राह पर,चलकर हमको दिखलाया॥ भेदभाव को सभी मिटा के,संविधान लिख छोड़ा है।सकल जगत में मान देख लो,जात-पात सब…
डॉ. प्रताप मोहन ‘भारतीय’सोलन(हिमाचल प्रदेश)************************************** सहते हैं मर्द,अक्सरखामोश दर्द। जब दर्द अपनों से,मिलता है तोखामोशी से,सहना पड़ता हैसब-कुछ जानकर भी,चुप रहना पड़ता है। खामोशी भी,दर्द बयां करती हैजिसकी झलक साफ,चेहरे…